राजधानी की जीवनरेखा को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, जल शक्ति मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) और दिल्ली सरकार के सहयोग से आज भारत मंडपम में दिल्ली के लिए शहरी नदी प्रबंधन योजना (यूआरएमपी) की तैयारी के लिए एक शुरुआती हितधारक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली के मुख्य सचिव श्री धर्मेंद्र ने की और जल संसाधन विभाग की सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं। अन्य प्रतिष्ठित वक्ताओं और प्रतिभागियों में महानिदेशक (एनएमसीजी) श्री राजीव कुमार मित्तल, नीदरलैंड की राजदूत सुश्री मारिसा जेरार्ड्स, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, (डीजेबी) श्री कौशल राज शर्मा, सुश्री रेबेका एपवर्थ (विश्व बैंक); लौरा सुस्टरसिक परियोजना निदेशक (जीआईजेड), श्री राजीव रंजन मिश्रा (मुख्य सलाहकार, जल और पर्यावरण, एनआईयूए), श्री संदीप मिश्रा सदस्य सचिव, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, देबोलीना कुमडू, निदेशक (एनआईयूए) और प्रोफेसर सी.आर. बाबू, प्रोफेसर एमेरिटस दिल्ली विश्वविद्यालय शामिल थे।कार्यशाला ने यमुना नदी की सफाई और पुनरुद्धार के उद्देश्य से एक एकीकृत योजना दृष्टिकोण की औपचारिक शुरुआत की। इस पहल में 14 प्रमुख विभागों और एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग द्वारा गठित एक बहु-हितधारक समूह भी शामिल था। कार्यशाला का उद्देश्य यूआरएमपी दृष्टिकोण और दिल्ली के लिए यूआरएमपी विकसित करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में विभिन्न हितधारकों के बीच साझा समझ को बढ़ावा देना था।
अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री राजीव कुमार मित्तल ने यमुना नदी के पुनरुद्धार हेतु एक एकीकृत और सहयोगात्मक दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि शहरी नदी प्रबंधन योजना (यूआरएमपी) को केवल एक दस्तावेज न बनकर, वैज्ञानिक समझ, जोखिम-आधारित मूल्यांकन और सक्रिय हितधारक भागीदारी पर आधारित एक गतिशील योजना और कार्यवाही के रूप में कार्य करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यह ढांचा नदी के समग्र सार को समाहित करने और दीर्घकालिक स्थिरता के लिए दिल्ली के शहरी नियोजन में नदी-संवेदनशील सोच को शामिल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, श्री धर्मेंद्र ने अपने मुख्य भाषण में एक स्पष्ट संदेश दिया: “यमुना सुधरेगी, दिल्ली सुधरेगी।” उन्होंने तत्काल, जमीनी परिणामों का आह्वान किया और यमुना पुनरुद्धार के लिए एक व्यावहारिक और कार्यान्वयन योग्य योजना पर ज़ोर दिया। उन्होंने दिल्ली की जीवन रेखा के रूप में यमुना की भूमिका को रेखांकित किया और हितधारकों से नालों की सफाई और सीवेज बुनियादी ढांचे को उन्नत करने से लेकर यमुना नदी के साथ दिल्ली के संबंधों को फिर से जीवंत करने तक ज़िम्मेदारी स्वीकार करने का आग्रह किया। उन्होंने दिल्ली के नदी-संवेदनशील शहरी विकास के लिए सभी हितधारकों से तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता व्यक्त की। उन्होंने दिल्ली के सतत विकास को गति देने और राष्ट्रीय राजधानी के नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए यूआरएमपी ढांचे के उपयोग पर ज़ोर दिया।
मुख्य वक्ता, जल शक्ति मंत्रालय की सचिव, सुश्री देबाश्री मुखर्जी ने कहा कि “स्वस्थ यमुना दिल्ली के लोगों के लिए स्वस्थ जीवन का मार्ग प्रशस्त करेगी,” और इस बात पर ज़ोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के दौर में जल प्रबंधन अब शहरी जीवन का केंद्रबिंदु बन गया है। सुश्री मुखर्जी ने शहरी नदी प्रबंधन योजना (यूआरएमपी) को एक स्वतंत्र दस्तावेज़ से कहीं अधिक बताया और नदी को पुनर्जीवित करने और राजधानी के लिए एक सुदृढ़ भविष्य के निर्माण हेतु सरकार, मीडिया, सहयोगी संस्थानों और नागरिकों को शामिल करते हुए एक सामूहिक और सतत आंदोलन चलाने का आग्रह किया।
एक विशेष संबोधन में, भारत में नीदरलैंड की राजदूत सुश्री मारिसा जेरार्ड्स ने जल प्रबंधन में भारत-नीदरलैंड की मजबूत साझेदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने शहरी जल संकट से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर भी बल दिया और शहरी जल लचीलापन पर एनएमसीजी और आईआईटी दिल्ली बनाए जा रहे आगामी उत्कृष्टता केंद्र की घोषणा की। यह यूआरएमपी की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सुश्री जेरार्ड्स ने रचनात्मक जन सहभागिता की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और नदी स्वास्थ्य के लिए सामूहिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए रिवर सिटीज़ अलायंस (आरसीए) की प्रशंसा की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस जल का सही इस्तेमाल करने की डच अवधारणा को यूआरएमपी ढांचे में समाहित किया जा सकता है ताकि इसे और अधिक मज़बूत और व्यावहारिक बनाया जा सके।
कार्यशाला में यूआरएमपी की संरचना और कार्य योजना का विस्तृत अवलोकन प्रस्तुत किया गया। यह योजना एनआईयूए और आईआईटी दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की जाएगी और डच सहयोग से बनने वाले उत्कृष्टता केंद्र से इसे सहयोग मिलेगा। यूआरएमपी का उद्देश्य प्रदूषण से निपटना, आर्द्रभूमि प्रबंधन में सुधार, अतिक्रमण और समन्वित, बहु-एजेंसी हस्तक्षेपों के माध्यम से जल पुन: उपयोग को बढ़ावा देना होगा। उल्लेखनीय रूप से, इस योजना की निगरानी नए शहरी नदी प्रबंधन सूचकांक के माध्यम से की जाएगी, जो दस प्रमुख क्षेत्रों में सुधारों पर नज़र रखेगा। यह परियोजना कार्यान्वयन योग्य परियोजनाओं और विस्तृत परियोजना रिपोर्टों (डीपीआर) के रूप में पूर्ण होगी, जिनका वित्तपोषण सरकार, व्यवहार्यता अंतराल और यूएलबी संसाधनों द्वारा किया जाएगा।