यूपी के प्रयागराज में मौजूदा दौर में मोबाइल और इंटरनेट ने एक ओर जहां लोगों का काम आसान किया है, तो वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में लोग इसके लती भी हो रहे है। बच्चों के साथ ही साथ बड़े और महिलायें भी मोबाइल के आदी हो चुके हैं।लोग मोबाइल पर गेम खेलने के साथ ही चैटिंग,फोटो अपडेट करने और कमेंट करने के आदी हो रहे हैं।
जिससे न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है,बल्कि मोबाइल न मिलने पर लोगों के व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिल रहा है।जिससे लोग चिडचिड़ेपन और बेचैनी के शिकार भी हो रहे हैं।समाज में मोबाइल की बढ़ती लत की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए प्रयागराज के मोतीलाल नेहरु मंडलीय अस्पताल में पांच साल पहले प्रदेश के पहले मोबाइल नशा मुक्ति केन्द्र की शुरुआत हुई थी।अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में पांच साल के अंदर 884 मरीज ऐसे आए हैं, जिसके लिए मोबाइल का नशा सा हो गया था। इसमें मोबाइल का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव छात्र-छात्रों पर पड़ रहा है।
मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र के मनोचिकित्सक व परामर्शदाता डॉ. राकेश पासवान के अनुसार मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र की शुरुआत 2019 में हुई थी। पहले साल में नशा मुक्ति केंद्र में 65 और 2020 में 40 मरीज आए थे। कोरोना काल में मोबाइल की लत ऐसी लगी कि 2021 में मरीजों की संख्या बढ़कर 360 पहुंच गयी। इस क्रम में 2022 में 204 और 2023 में 215 मरीज नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के आए। 132 मरीजों में 132 छात्र-छात्राएं, 52 महिलाएं और 20 व्यवसायी थे।स्कूल और कॉलेज में जाकर बच्चों को कर रहे जागरूककेंद्र से जुड़े डॉक्टरों ने बताया कि कुछ दिनों पहले अस्पताल में PUBG की अडिक्ट एक बच्ची को लाया गया था जिसने आत्महत्या तक का प्रयास किया था और उसके शरीर में लकवा के लक्षण दिखने लगे थे। हालांकि अब बच्ची काफी ठीक हो चुकी है हमारी टीम स्कूलों और कॉलेज में जाकर बच्चों को जागरुक कर रही है। उनके केंद्र की सफलता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सभी जिलों में ऐसे सेंटर शुरू करने का आदेश दिया है।फिलहाल उनके केंद्र पर प्रयागराज के साथ ही अन्य जिलों से भी मरीज पहुंच रहे हैं।