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UP: कानपुर के इस आश्रम में हुई थी रामायण की रचना, माता सीता ने दिया था लव कुश को जन्म

ByIcndesk

Jan 13, 2024
Report By : शारिक खान (UP Kanpur )

अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर की प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। जिसको लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल दिखाई दे रहा है। रामायण के जरिए लोग भगवान श्री राम के जीवन और चरित्र के बारे में जान सके। रामायण की रचना कानपुर के बिठूर में स्थित आश्रम में महर्षि वाल्मीकि ने की थी। महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही माता सीता ने लव कुश को जन्म दिया था। बिठूर के लोग भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बेहद खुश हैं। वहीं वह बिठूर को अयोध्या की तरह विकसित करने की मांगकर रहे हैं।

कानपुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर बिठूर स्थित है। बिठूर को धार्मिक नगरी के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि बिठूर की ब्रह्मावर्त खूटी पृथ्वी का केंद्र बिंदु है। वही रामायण काल की तमाम ऐसी घटनाएं यहां से जुड़ी हुई हैं जो इस स्थान को विशेष बनती है। बिठूर में ही वह स्थान है जहां रामायण काल में महर्षि वाल्मीकि गंगा किनारे स्थित आश्रम में रहते थे।

इससे पहले जब वाल्मीकि जी को डाकू रत्नाकर के नाम से जाना जाता था तब वह यही स्थित जंगलों में लूटपाट करते थे। बाद में सप्त ऋषियों के द्वारा जब उन्हें ज्ञान मिला तब गंगा किनारे आश्रम बनाकर रहने लगे। यहां पर उन्होंने कठोरता तब किया और बाद में रामायण महाकाव्य की रचना की। रामायण की वजह से ही भगवान श्री राम के चरित्र को दुनिया ने जाना। वही भगवान श्री राम बनवास के बाद जब अयोध्या वापस लौटे और उन्होंने माता सीता का त्याग किया। तब लक्ष्मण जी बिठूर स्थित महर्षि वाल्मीकि आश्रम से 5 किलोमीटर दूर परियर स्थान पर माता सीता को छोड़ गए थे। महर्षि वाल्मीकि गंगा स्नान करने पर परियर जाते थे। वहां उन्होंने माता सीता को देखा और माता सीता को अपने साथ आश्रम ले आए। यहां माता सीता को वन देवी के नाम से जाना गया।

महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही माता सीता ने लव और कुश को जन्म दिया। भगवान श्री राम ने जब अश्वमेध यज्ञ किया और घोड़ा छोड़ा तो बिठूर में ही लवकुश ने घोड़े को पकड़ लिया। घोड़े को छुड़ाने के लिए भगवान श्री राम की सेवा से लव कुश का युद्ध हुआ। हनुमान जी को बंधक बनाने के बाद भगवान श्री राम स्वयं बिठुर पहुंचे।इससे पहले की लव और कुश का युद्ध भगवान श्री राम से होता महर्षि वाल्मीकि ने भगवान श्री राम को बताया कि यह उनके ही बच्चे हैं। इसी स्थान पर उनका लव कुश और सीता से दोबारा मिलन हुआ है इसलिए इस क्षेत्र को रण मेल के नाम से जाना जाता था।

जिसे बाद में रमेल के नाम से जाना जाने लगा। कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने माता सीता से अयोध्या वापस चलने का आग्रह किया तो ऐसे में माता-पिता ने दोबारा अपने अग्नि परीक्षा देने के लिए धरती माता से कहा कि अगर वह पवित्र है तो वह उन्हें अपनी गोद में समा लें। इसके बाद सीता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही धरती में समा गई। यह सारे स्थान आज भी यहां पर मौजूद हैं। यहीं पर वाल्मीकेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है जहां पर महर्षि वाल्मीकि ने शिवलिंग की स्थापना करने के बाद रामायण महाकाव्य की रचना करना शुरू किया था। वह पेड़ यहां पर आज भी मौजूद बताया जाता है जिसमें लव कुश ने हनुमान जी को बांधा था। रामायण काल से जुड़े बिठूर में रहने वाले लोग अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बनाए जाने से बेहद खुश हैं। वही उनका कहना है कि अयोध्या नगरी की तरह ही बिठूर को भी सजाया संवारा जाना चाहिए। उनका मानना है की रामायण की वजह से ही भगवान श्री राम को दुनिया में मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जाना गया। वही यह क्षेत्र माता सीता की तपोस्थली रही है जिसे इसकी वाजिब पहचान मिलनी ही चाहिए।

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