Report By : ICN Network
दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आयकर अधिनियम की धारा 276C(2) के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए स्पष्ट किया कि इनकम टैक्स रिटर्न की जानबूझकर अनदेखी और भुगतान न करना एक “इच्छापूर्ण अपराध” है। कोर्ट ने आरोपी द्वारा रिटर्न फाइल न करने की मंशा को गंभीरता से लिया और ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को सही ठहराया।
आरोपी के खिलाफ यह मामला आयकर विभाग द्वारा दायर किया गया था, जिसमें आरोप था कि उसने निर्धारित समय सीमा के बावजूद जानबूझकर अपनी कर देनदारी पूरी नहीं की और न ही रिटर्न फाइल किया। विभाग ने इसे कानून की अवहेलना मानते हुए फौजदारी कार्रवाई की शुरुआत की थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट था कि आरोपी को टैक्स रिटर्न फाइल करने की ज़रूरत और इसकी समय सीमा दोनों की पूरी जानकारी थी, बावजूद इसके उसने इसे नजरअंदाज किया। कोर्ट ने माना कि यह केवल भूल या तकनीकी चूक नहीं, बल्कि एक जानबूझकर किया गया कर अपराध था।
कोर्ट ने यह भी दोहराया कि आयकर अधिनियम की धारा 276C(2) के तहत सजा उसी स्थिति में दी जाती है जब यह साबित हो जाए कि टैक्स का भुगतान न करना सुनियोजित और मंशा से जुड़ा हुआ कृत्य था। और इस मामले में सबूत इस दिशा में स्पष्ट थे।
यह निर्णय करदाताओं के लिए एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि कर नियमानुसार भरना केवल जिम्मेदारी नहीं, कानूनी बाध्यता भी है। जानबूझकर अनदेखी करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।