Report By : ICN Network
ग्रेटर नोएडा के चारों ब्लॉक के 72 परिषदीय स्कूलों का, जिनमें छात्रों की संख्या 50 से कम थी, मंगलवार से अन्य स्कूलों में विलय कर दिया गया। हालांकि, इन पुराने स्कूलों के छात्र पहले की तरह ही अपने पुराने स्कूल पहुंच गए, लेकिन उन्हें न तो नए स्कूल की जानकारी थी और न ही वहां कोई शिक्षक मौजूद था। स्कूल गेट पर ताले लगे थे, और छात्र वहीं खड़े रहकर ‘गुरुजी’ का इंतजार करते रहे।
जेवर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय परोही के छात्रों ने बताया कि उन्हें अभी तक कोई जानकारी नहीं दी गई कि अब किस स्कूल में जाना है। बच्चों का कहना था – “गुरुजी अब तक नहीं आए हैं, हम उन्हीं का इंतजार कर रहे हैं। जब तक वो नहीं आएंगे, हम यहीं खड़े रहेंगे।”
अभिभावकों ने भी नाराजगी जताई और कहा कि स्कूल विलय की कोई सूचना उन्हें नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होगी, वे बच्चों को दूसरे स्कूल भेजने के बारे में सोचेंगे। ग्रामीण इलाकों में स्कूल बंद होने से बच्चों को आने-जाने में भी दिक्कत होगी।
बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले लगभग 1400 छात्र और 100 से अधिक शिक्षक एक जुलाई से नए स्कूलों में स्थानांतरित कर दिए गए हैं। जिन स्कूलों का विलय किया गया है, वहां अब बालवाटिका की शुरुआत की जाएगी। इस बदलाव के तहत बच्चों को नजदीकी 72 स्कूलों में पढ़ाई के लिए भेजा गया है।
इस पूरे मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पंवार का कहना है कि सभी बच्चों के अभिभावकों को स्कूल विलय की जानकारी दी गई है और “हर बच्चा स्कूल जाए” सुनिश्चित करने के लिए स्कूल चलो अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत भी की जा चुकी है।
उत्तर प्रदेशीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने सरकार के इस कदम पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है। उनका कहना है कि स्कूलों का विलय करने की बजाय उनमें संसाधनों और शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए थी। उन्होंने चेताया कि इस निर्णय से हजारों बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी और यह निर्णय पूरी तरह अनुचित है।