Report By: ICN Network
मुंबई के गोरेगांव स्थित मोतीलाल नगर के पुनर्विकास की राह अब पूरी तरह साफ हो गई है। महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) की C&DA मॉडल आधारित योजना को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने माधवी राणे, मोतीलाल रहवासी विकास संघ और गौरव राणे द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के मार्च 2025 के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें मोतीलाल नगर I, II और III के 143 एकड़ क्षेत्र में पुनर्विकास को अनुमति दी गई थी।
इस मामले में MHADA की ओर से भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखते हुए बताया कि यह परियोजना सरकार द्वारा विशेष दर्जा प्राप्त है और इसमें हजारों परिवार शामिल हैं। सभी से सहमति लेने में वर्षों लग सकते हैं, जिससे पहले से ही विलंबित परियोजना और पीछे चली जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा 230 वर्ग फुट के बदले में 1,600 वर्ग फुट बिल्ट-अप एरिया देने के प्रस्ताव को भी उचित बताया, जो कि DCPR 2034 के नियम 33(5) के अंतर्गत पात्रता से अधिक है।
इससे पहले 25 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी मोतीलाल नगर विकास समिति की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए पुनर्विकास योजना को कायम रखा था। इस महीने की शुरुआत में MHADA ने अदाणी रियल्टी की यूनिट एस्टेटव्यू प्राइवेट डेवलपर्स के साथ C&DA समझौता किया। इस योजना के तहत लगभग 3,700 परिवारों को 1,600 वर्ग फुट के आधुनिक फ्लैट्स में पुनर्वासित किया जाएगा, जबकि 987 वर्ग फुट क्षेत्र व्यावसायिक उपयोग के लिए आरक्षित होगा।
MHADA इस पूरी परियोजना का नियंत्रण अपने पास रखेगा, जिसमें ज़मीन का स्वामित्व भी शामिल है। अपनी वित्तीय और तकनीकी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए MHADA ने निजी एजेंसी को कार्यान्वयन की जिम्मेदारी दी है। 36,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को सात वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस रीडेवलपमेंट का मकसद अवैध निर्माणों को हटाकर 3,372 आवासीय इकाइयों, 328 वैध वाणिज्यिक इकाइयों और 1,600 झुग्गी निवासी परिवारों का पुनर्वास करना है। इससे इलाके में जलभराव, बाढ़ और रहन-सहन की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद है।