साइबर क्राइम व आईटी एक्ट से संबंधित सभी मुकदमे अब साइबर क्राइम थाने में दर्ज होंगे। पुलिस महानिदेशक ने अब पांच लाख रुपये की न्यूनतम सीमा को खत्म कर दिया है। अब तक पांच लाख से अधिक के साइबर क्राइम की घटनाएं साइबर थाने में दर्ज की जाती थी। वहीं थानों पर साइबर हेल्प डेस्क पर पहले की तरह शिकायतें सुनी जाएंगी और पीड़ितों को सहायता प्रदान की जाएगी
साइबर अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण व मामलों की त्वरित जांच के लिए पुलिस महानिदेशक ने महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 के अंतर्गत अपराधों के पंजीकरण एवं विवेचना के लिए साइबर क्राइम थानों की कार्यप्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है।
साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए सेक्टर-36 में साइबर क्राइम थाना स्थापित है। अभी तक साइबर क्राइम थाने में वही केस दर्ज होते थे जिसमें ठगी की रकम पांच लाख या इससे अधिक होती थी। यह सिलसिला बीते कई वर्षों से चलता आ रहा था। साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज कराने के लिए अब पांच लाख रुपये की बाध्यता नहीं होगी। अब थाने पर आईटी ऐक्ट से संबंधित किसी भी राशि के साइबर अपराधों के केस पंजीकृत किए जा सकेंगे। अब कॉल सेंटर फ्रॉड की जांच भी अब साइबर थाने से होगी। इसके अलावा संगठित साइबर गैंग व बड़े आर्थिक अपराध की विवेचना विशेष टीम गठित कर साइबर थाने से कराई जाएगी।