अजा एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, अजा एकादशी की तिथि 18 अगस्त 2025 को शाम 5:22 बजे शुरू होगी और 19 अगस्त 2025 को दोपहर 3:32 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा। व्रत का पारण (व्रत तोड़ने का समय) 20 अगस्त 2025 को सुबह 5:53 से 8:29 बजे के बीच होगा।अजा एकादशी 2025 की पूजा विधि
अजा एकादशी का व्रत और पूजा सरलता और श्रद्धा के साथ करने से विशेष फल मिलता है। नीचे दी गई है पूजा की सरल विधि:- सुबह की तैयारी: सूर्योदय से पहले उठें, स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र पहनें, जो शुद्धता और भक्ति का प्रतीक हैं।
- व्रत का संकल्प: भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए मन में श्रद्धा के साथ व्रत रखने का संकल्प लें।
- पूजा की व्यवस्था: घर के मंदिर को साफ करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। लक्ष्मी जी का चित्र या श्री यंत्र भी रख सकते हैं।
- अर्पण: भगवान को ताजे फूल, फल, चावल, मिठाई (जैसे खीर), तुलसी पत्र और पंचामृत अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
- मंत्र और कथा: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “हरे कृष्ण हरे राम” मंत्र का जाप करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और अजा एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
- दान-पुण्य: व्रत पारण से पहले गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करें।
- व्रत पारण: 20 अगस्त को शुभ मुहूर्त में भगवान को प्रणाम कर व्रत तोड़ें।
अजा एकादशी का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में अजा एकादशी का विशेष स्थान है। “अजा” शब्द भगवान विष्णु के अनादि और अजन्मे स्वरूप को दर्शाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। यह व्रत अश्वमेध यज्ञ या हजार गौदान के समान पुण्य प्रदान करता है। इस व्रत से जुड़ी एक प्राचीन कथा राजा हरिश्चंद्र की है। सत्य के प्रतीक राजा हरिश्चंद्र ने अपने कठिन समय में अजा एकादशी का व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उन्हें अपना खोया हुआ राज्य, धन और परिवार वापस मिला। उनके मृत पुत्र को भी जीवनदान मिला। यह कथा इस व्रत के चमत्कारी प्रभाव को दर्शाती है।क्या करें और क्या न करें
- क्या करें: मन और शरीर की शुद्धि रखें, विष्णु मंत्रों का जाप करें, तुलसी की पूजा करें और दान-पुण्य करें।
- क्या न करें: मांसाहार, लहसुन, प्याज और चावल से परहेज करें। नाखून या बाल न काटें, नकारात्मक विचारों से बचें और भोजन या जल की बर्बादी न करें।