दिल्ली हाई कोर्ट ने रेस्टोरेंट एसोसिएशन से पूछा कि एमआरपी से ज्यादा शुल्क लेने के बाद सेवा शुल्क क्यों? कोर्ट ने कहा रेस्टोरेंट ग्राहकों से खाने माहौल और परोसने के नाम पर शुल्क लेते हैं। 20 रुपये की पानी की बोतल के 100 रुपये क्यों लिए जा रहे हैं? एकल पीठ ने पहले सेवा शुल्क को अनुचित बताया था क्योंकि उपभोक्ताओं को सेवा कर और जीएसटी भी देना होता है।
सेवा शुल्क के मामले में एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ होटल और रेस्टोरेंट एसोसिएशन की अपील याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रेस्टोरेंट एसोसिएशन से पूछा कि जब आप पहले से ही अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से ज्यादा शुल्क ले रहे हैं, तो फिर सेवा शुल्क क्यों वसूल रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि रेस्टोरेंट ग्राहकों से बेचे गए खाद्य पदार्थ, माहौल और परोसना जैसे तीन घटकों के तहत शुल्क ले रहे हैं।
अदालत एकल पीठ के खिलाफ नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन आफ इंडिया (एनआरएआइ) और फेडरेशन आफ होटल्स एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन आफ इंडिया (एफएचआरएआइ) की अपील याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
पीठ ने कहा कि जब रेस्टोरेंट में आने वाले व्यक्ति से एमआरपी से ज्यादा शुल्क लेने के बाद भी प्रदान की गई सेवा के लिए भी सेवा शुल्क लिया जा रहा है।
पीठ ने पूछा कि क्या किसी खास तरह के अनुभव के लिए माहौल प्रदान करने में आपकी सेवाएं शामिल नहीं होंगी? पीठ ने आगे कहा कि इस सेवा शुल्क में यह भी शामिल होना चाहिए।
पीठ ने एसोसिएशन की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता को एक उदाहरण के देते हुए पूछा कि जब रेस्टोरेंट 20 रुपये की पानी की बोतल के लिए 100 रुपये ले रहे हैं, तो ग्राहक को उनकी सेवाओं के लिए अतिरिक्त शुल्क क्यों देना होगा?