पानी और सीवर के अवैध कनेक्शनों से निगम को 101 करोड़ का घाटा।
सोनीपत शहर में पानी और सीवर के अवैध कनेक्शनों का जाल इतना फैला हुआ है कि नगर निगम की जेबें खाली हो रही हैं और शहर की बुनियादी सुविधाएं धड़ाम से गिरने को तैयार हैं। जागरण की गहन पड़ताल ने इस काले कारोबार की परतें खोल दी हैं, जो न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि शहरवासियों की सेहत और स्वच्छता को भी खतरे में डाल रहा है। अवैध तरीके से कनेक्शन जोड़ने वाले लोग निगम को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं, और अब प्रशासन की नींद टूटने वाली है – बड़े एक्शन की घंटी बज चुकी है!
101.25 करोड़ का सुनहरा खजाना: वैध कनेक्शन से निगम की किस्मत चमक सकती है
पड़ताल के चौंकाने वाले आंकड़ों के मुताबिक, अगर निगम सभी अवैध कनेक्शनों को वैध बना दे, तो सिर्फ कनेक्शन फीस से ही करीब 101.25 करोड़ रुपये की कमाई हो सकती है। यह रकम निगम की वित्तीय रीढ़ को मजबूत कर देगी, जिससे पानी की आपूर्ति और सीवर सिस्टम जैसी आवश्यक सेवाओं को नई जान मिल जाएगी। नियमित बिलिंग से आने वाली आय शहर की विकास योजनाओं को पंख लगा देगी, लेकिन फिलहाल अवैध कनेक्शन निगम को लूट रहे हैं। शहर में कुल 1,35,757 भवन और प्रतिष्ठान हैं, लेकिन महज 51 हजार मालिकों ने ही वैध कनेक्शन लिए हैं। वहीं, 62 हजार खाली प्लॉट पड़े सड रहे हैं, यानी 84,757 भवनों और प्रतिष्ठानों के मालिक चुपके से चोरी के कनेक्शन चला रहे हैं। यह आंकड़ा निगम के लिए एक बड़ा झटका है, जो अवैधता के जाल को उजागर करता है।
चोरी का खेल: भवन मालिकों की चालाकी से निगम को लग रहा ठेंगा
शहर के कोने-कोने में सीवर और पेयजल कनेक्शन की चोरी का धंधा जोरों पर है। भवन मालिक अवैध तरीके से पाइपलाइनें जोड़कर निगम को आर्थिक चपत लगा रहे हैं, जिससे वैध उपभोक्ताओं को पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है। अवैध कनेक्शनों से न केवल राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि सीवर का गंदा पानी इधर-उधर फैल रहा है, जो स्वास्थ्य आपदाओं को न्योता दे रहा है। स्वच्छता की दुहाई देने वाली व्यवस्था में गंदगी का राज कायम है, और इससे शहर की छवि भी धुंधली हो रही है। माना जा रहा है कि ये अवैध कनेक्शन शहर के विकास को पंगु बना रहे हैं, और अब निगम की टीम सख्ती के मूड में है।
घाटे का बोझ और व्यवस्था का बंटाधार: वैध ग्राहकों पर भी असर
अवैध कनेक्शनों का कुप्रभाव सिर्फ निगम तक सीमित नहीं है। वैध कनेक्शन वाले परिवारों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जबकि सीवर की अवैध लीकेज से गलियों में गंदगी का अंबार लग रहा है। इससे संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है, और शहर की स्वच्छता अभियान की पोल खुल रही है। नगर निगम के पश्चिमी जोन में ककरोई और गोहाना रोड पर बिछी पेयजल लाइनों पर कई अवैध कनेक्शन पकड़े गए हैं। साल 2022 में निगम ने 80 ऐसे कनेक्शनों को चिन्हित कर पांच-पांच हजार का जुर्माना ठोका था, लेकिन लोग सुधरे नहीं। अब निगम बड़े पैमाने पर छापेमारी की योजना बना रहा है, ताकि अवैधता पर लगाम लगाई जा सके।
जिम्मेदारी का सफर: जनस्वास्थ्य से निगम तक, अब नया सर्वे चलेगा
शहर में पेयजल और सीवर की जिम्मेदारी पहले जनस्वास्थ्य विभाग के पास थी, लेकिन कोरोना महामारी से ठीक पहले यह बोझ नगर निगम के कंधों पर डाल दिया गया। निगम ने जब अपनी सेवाओं को प्रॉपर्टी आईडी से जोड़ना शुरू किया, तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई – कई प्रॉपर्टी यूनिट्स के पास तो कनेक्शन ही नहीं थे। इस कमी को पूरा करने के लिए निगम अब एक व्यापक सर्वे चला रहा है, जो अवैध कनेक्शनों की जड़ तक पहुंचेगा। यह सर्वे न केवल आंकड़ों को सही करेगा, बल्कि भविष्य में सख्त कार्रवाई का आधार भी बनेगा।
एक्शन का समय आ गया: निगम की सख्ती से शहर को मिलेगी राहत
सोनीपत नगर निगम अब अवैध कनेक्शनों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करने को तैयार है। करोड़ों के नुकसान को रोकने और शहर को स्वच्छ बनाने के लिए बड़े एक्शन की तैयारी जोरों पर है। अगर यह अभियान सफल रहा, तो निगम की आय बढ़ेगी और सेवाएं चमकेंगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या भवन मालिक सुधरेंगे, या फिर चोरी का यह खेल जारी रहेगा? शहरवासी अब निगम की इस मुहिम पर नजरें टिकाए हैं, जो अवैधता के इस काले साम्राज्य को उखाड़ फेंकने का वादा कर रही है।