ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता में भारत की मीनाक्षी हुड्डा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देश के लिए पहला स्वर्ण पदक जीत लिया। मीनाक्षी, जो एक ऑटो चालक की बेटी हैं, अपनी इस ऐतिहासिक जीत के बाद बेहद भावुक नज़र आईं। उन्होंने कहा कि उनकी सफलता के पीछे उनके पिता की अटूट मेहनत और त्याग सबसे बड़ा आधार है।
मीनाक्षी ने बताया कि भले ही परिवार की आर्थिक हालत अब पहले जैसी मुश्किल नहीं रही, लेकिन उनके पिता ने ऑटो चलाना कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने हमेशा कहा—“मेरी बेटी आज जिस मुकाम पर है, वह इसी ऑटो की बदौलत है, इसी से मैदान तक पहुँचने का सफर तय हुआ है।”
रोहतक जिले के गांव रुड़की की रहने वाली मीनाक्षी ने याद किया कि जब उन्होंने मुक्केबाजी शुरू की तो परिवार को समाज की कई तरह की बातें सुननी पड़ीं। लेकिन पिता ने हर बार उनका हौसला बढ़ाया और कहा कि उन्हें सिर्फ अभ्यास पर ध्यान देना है, क्योंकि उनका लक्ष्य विश्व मंच पर देश का नाम रोशन करना है।
आईटीबीपी में कार्यरत मीनाक्षी को लोग आज भी “ऑटो चालक की बेटी” कहकर जानते हैं, और यही पहचान उन्हें और मजबूत बनाती है। वह अब तक जिले, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण पदक जीत चुकी हैं—2022 की राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण, एशियन चैंपियनशिप में रजत और सीनियर नेशनल में भी रजत पदक हासिल कर चुकी हैं। विश्व मुक्केबाजी में स्वर्ण जीतना उनका सपना था, जो अब पूरा हो गया।
मीनाक्षी बताती हैं कि पहले उनके गांव के लोग ताना मारते थे कि बेटी मुक्केबाजी करेगी तो चेहरे पर चोट लग जाएगी और उसकी शादी भी मुश्किल हो जाएगी। लेकिन अब वही लोग अपनी बेटियों को लेकर उनके पास आते हैं, सलाह लेते हैं और प्रेरणा पाते हैं। वह कहती हैं कि गांव की सोच बदलने में उनके पिता ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई है