महाराष्ट्र में लंबे समय से टल रहे स्थानीय निकाय चुनाव एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और 21 नवंबर नाम वापसी की अंतिम तारीख है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि जब तक ओबीसी आरक्षण पर फैसला नहीं आता, तब तक चुनावी प्रक्रिया रोकने पर विचार किया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी—आरक्षण की 50% सीमा न लांघें, वरना चुनाव रोके जा सकते हैं।
दरअसल, याचिका में आरोप लगाया गया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण 50% से अधिक हो गया है। पहले की सुनवाई में सरकार और चुनाव आयोग ने माना था कि वे कोर्ट के आदेश को समझने में गलती कर बैठे थे। उल्लेखनीय है कि ये चुनाव 2022 में होने थे लेकिन लगातार टलते रहे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी 2026 से पहले चुनाव संपन्न कराने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को सुझाव दिया कि लोकल बॉडी चुनावों की नामांकन प्रक्रिया तब तक टालने पर विचार करे जब तक ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने पर कोर्ट अपना फैसला नहीं सुना देता। चुनाव आयोग के मुताबिक, 246 नगरपालिका परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव 2 दिसंबर को होने हैं और 3 दिसंबर को मतगणना होगी।
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 17 नवंबर, स्क्रूटनी 18 नवंबर और नाम वापसी की डेडलाइन 21 नवंबर तय की गई है। उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिह्न 26 नवंबर को जारी होंगे।
जस्टिस सूर्यकांत, उज्जल भुयान और एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने मामले की सुनवाई 25 नवंबर तक टालते हुए यह निर्देश दिया। राज्य की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोटा विवाद से संबंधित और दस्तावेज जमा करने के लिए समय मांगा। वहीं, 27% ओबीसी कोटा के विरोधी पक्ष के वकील अमोल बी. करंदे ने तर्क दिया कि यदि नामांकन आगे बढ़ता रहा, तो चुनाव प्रक्रिया ‘अप्रतिवर्तनीय’ हो जाएगी।