पीड़ित ने बताया कि 22 से 28 अक्तूबर के बीच उनके क्रेडिट कार्ड से पांच अलग-अलग धोखाधड़ीपूर्ण लेनदेन किए गए। पीड़ित का कहना है 10 नवंबर को उन्होंने स्वयं 1 लाख 89 हजार 700 की निकासी की थी। लेकिन इन सभी लेनदेन की उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली थी। पीड़ित को बाद में पता चला कि उनका मोबाइल नंबर जो जिओ कनेक्शन पर था। 17 अक्टूबर को को बिना उनकी अनुमति के एयरटेल में पोर्ट कर दिया गया। वर्तमान में कोई अज्ञात व्यक्ति उसी नंबर से व्हाट्सऐप का उपयोग कर रहा है और पीड़ित की पहचान का दुरुपयोग कर रहा है।
मोबाइल नंबर की अनधिकृत पोर्टिंग के माध्यम से अपराधी ओटीपी और अन्य संवेदनशील जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। जिससे वह बैंक खातों और डिजिटल पहचान तक पहुंच बना लेते हैं। ईमेल से लिया गया 22 लाख का फर्जी लोन शिकायत में सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि पीड़ित की ईमेल आईडी का उपयोग कर 28 अक्तूबर को 22 लाख रुपये का लोन लिया गया। उन्हें इस लोन की न तो कोई जानकारी थी। न ही उन्होंने इसके लिए कभी आवेदन किया था। वहीं कोतवाली प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। क्या है सिम स्वैपिंग ठग : सिम स्वैप का सीधा मतलब सिम कार्ड को बदल देना या उसी नंबर से दूसरा सिम निकलवा लेना है। सिम स्वैपिंग में आपके मोबाइल नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इसके बाद आपका सिम कार्ड बंद हो जाता है और आपके मोबाइल से नेटवर्क गायब हो जाता है। ऐसे में ठग के पास आपके मोबाइल नंबर से सिम चालू हो जाता है। इसी का फायदा उठाकर वह आपके नंबर पर ओटीपी मंगाता है और फिर आपके खाते से पैसे उड़ा लेता है। सिम कार्ड स्वैपिंग के लिए लोगों के पास ये ठग फोन करते हैं और दावा करते हैं कि वह आपके सिम कार्ड की कंपनी के ऑफिस से बोल रहे हैं। ठग लोगों से इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने और कॉल ड्रॉप को ठीक करने का दावा करते हैं। इसी बातचीत के दौरान वह कई बार 20 अंकों का सिम नंबर मांगते हैं जो कि सिम कार्ड के पीछे लिखा होता है। जैसे ही लोग नंबर बताते हैं तो वह लोगों से 1 दबाने के लिए कहते हैं। 1 दबाने के साथ ही नया सिम कार्ड जारी करने का ऑथेंटिकेशन पूरा हो जाता है। फिर फोन से नेटवर्क गायब होने लगता है।
सिम स्वैपिंग में ठगी होने पर क्या करें :
किसी भी तरह की ठगी होने पर सबसे पहले अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड को कस्टमर केयर में फोन करके ब्लॉक कराएं। इसके बाद बैंक को इसकी लिखित सूचना दें। नजदीकी थाने के साथ साइबर हेल्पलाइन नंबर-1930 व cybercrime.gov.in पर भी जाकर इसकी शिकायत कर सकते हैं।

