न्यायिक अधिकारीगण ने कुल 2,96,011 वादों का निस्तारण किया। प्री-लिटिगेशन स्तर पर 5,66,684 मामलों का निस्तारण हुआ। राजस्व न्यायालयों ने 92,297 मामले निपटाए गए। पुलिस विभाग ने 28,025 मामलों का निस्तारण किया। चिकित्सा विभाग से जुड़े 36,649 मामले निपटाए गए। यातायात विभाग ने 4,01,203 मामलों का निस्तारण किया। बीएसएनएल के 183, एनपीसीएल के 106 और बैंकों से जुड़े 329 मामले निपटाए गए। नोएडा प्राधिकरण ने 3,691 और यमुना प्राधिकरण ने 14 मामले निपटाए। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संजय कुमार त्रिपाठी ने 1,22,436 वादों का निस्तारण किया और 1.83 करोड़ से अधिक का जुर्माना तय किया।
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम मयंक त्रिपाठी ने 3,610 वाद और 5.14 लाख का जुर्माना तय किया। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश बुद्धि सागर मिश्रा ने 37 वाद निपटाए। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी वत्सल श्रीवास्तव ने 45 वाद निस्तारित किए, जिनमें 4.07 करोड़ की धनराशि तय हुई। वाणिज्य न्यायालय प्रथम के न्यायाधीश रविन्द्र नाथ दुबे ने 11 वादों में 2.08 करोड़ का समझौता कराया। वाणिज्य न्यायालय द्वितीय के जगदीश प्रसाद ने 16 वादों में 2.04 करोड़ का निस्तारण किया। विशेष न्यायाधीश एनआई एक्ट सुरेश चन्द ने 128 वादों में 3.25 करोड़ से अधिक की राशि तय कराई। जिला उपभोक्ता न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अनिल पुण्डीर ने 38 वादों में 41 लाख से अधिक का निस्तारण किया। वर्चुअल कोर्ट द्वारा 1,48,426 चालान निपटाए गए। जिनमें 42.46 लाख का जुर्माना निर्धारित हुआ। 18.52 करोड़ की राशि समझौते के रूप में तय हुई। भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकरण ने 13 वादों का निस्तारण किया। सभी विभागों और न्यायिक अधिकारियों के सहयोग से कुल 8 लाख 62 हजार 695 मामलों का निस्तारण हुआ। समझौता धनराशि का आंकड़ा 39 करोड़ 29 लाख 42 हजार 302 तय हुई।