Report By : ICN Network
दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार सभी 70 सीटों पर बेहद रोचक मुकाबला देखने को मिला। पिछले तीन बार से लगातार सत्ता में बनी आम आदमी पार्टी (आप) को इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। दिल्ली की जनता ने उत्साहपूर्वक मतदान किया और हर सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिली। चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़े वादे किए। आम आदमी पार्टी, जो दिल्ली में तीन बार सरकार बना चुकी है, इस बार पहले से कहीं अधिक कठिन चुनौती का सामना कर रही थी। भाजपा ने इस चुनाव में आक्रामक प्रचार किया और दिल्ली में अपनी स्थिति मजबूत करने की भरपूर कोशिश की। पार्टी ने राष्ट्रीय मुद्दों को केंद्र में रखते हुए मतदाताओं को आकर्षित करने की रणनीति अपनाई। वहीं, कांग्रेस भी अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए प्रयासरत रही, हालांकि उसे बीते कुछ चुनावों में उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले थे। दिल्ली के मतदाताओं के लिए इस चुनाव में कई अहम मुद्दे थे, जिनमें बिजली-पानी की सुविधा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, प्रदूषण और विकास कार्य प्रमुख रहे। आम आदमी पार्टी ने अपने पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाते हुए जनता से समर्थन मांगा, जबकि भाजपा ने केंद्र सरकार की योजनाओं और विकास कार्यों को सामने रखकर वोटरों को लुभाने की कोशिश की। कई सीटों पर कांटे की टक्कर देखने को मिली, जहां मुकाबला अंतिम समय तक दिलचस्प बना रहा। चुनावी नतीजे यह तय करेंगे कि दिल्ली की जनता ने किस पर भरोसा जताया है और कौन दिल्ली की सत्ता पर काबिज होगा। वहीं, इस चुनाव में मतदाताओं की भूमिका भी अहम रही, क्योंकि उन्होंने विकास और शासन से जुड़े मुद्दों पर विचार कर अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कुल मिलाकर, दिल्ली विधानसभा चुनाव में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखी गई, जिसमें तीनों प्रमुख दलों ने अपनी रणनीतियां बनाईं और जनता को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। अब सबकी निगाहें चुनावी नतीजों पर टिकी हैं, जो यह तय करेंगे कि दिल्ली की सत्ता की कुर्सी पर कौन बैठेगा और आने वाले वर्षों में दिल्ली की राजनीति किस दिशा में जाएगी