अधिकारियों के अनुसार, इन शेल्टर होम में खास तौर पर उन लावारिस कुत्तों को रखा जाएगा जिनके व्यवहार में बदलाव आ गया है या जो हिंसक हो गए हैं। इलाज और प्रशिक्षण के बाद जब ये कुत्ते सामान्य स्थिति में आ जाएंगे, तो उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस छोड़ा जाएगा। इसके साथ ही सेक्टरों और सोसाइटी के आसपास 1500 डॉग फीडिंग प्वाइंट भी बनाए जाएंगे, ताकि कुत्तों को नियमित रूप से भोजन मिल सके।
यह जानकारी मंगलवार को नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी महेंद्र प्रसाद ने दी। उन्होंने बताया कि फिलहाल घायल कुत्तों का इलाज और स्ट्रेलाइजेशन सेक्टर-94 एनिमल शेल्टर होम में किया जाता है। मौजूदा स्थिति के अनुसार शहर में 50 हजार से अधिक लावारिस कुत्ते होने का अनुमान है।
इस समय सेक्टर-34 और सेक्टर-135 स्थित शेल्टरों में हिंसक और रैबीज से संक्रमित कुत्तों को रखकर उनका इलाज किया जाता है। यहां एंटी रैबीज इंजेक्शन देने के साथ-साथ उनके व्यवहार में सुधार के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है। हालांकि, इन दोनों शेल्टर होम की क्षमता सिर्फ 25-25 कुत्तों की है।
प्राधिकरण का कहना है कि आगे सेक्टर-50 और सेक्टर-93बी में भी डॉग शेल्टर शुरू करने की तैयारी चल रही है, लेकिन शहर में कुत्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ये सुविधाएं अपर्याप्त हैं। इसी कारण दो बड़े शेल्टर होम बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए प्राधिकरण जमीन तलाश रहा है। प्रत्येक शेल्टर के लिए करीब एक एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी।

