Report By : ICN Network
महाराष्ट्र विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी ने मुगल शासक औरंगजेब पर अपनी टिप्पणी को लेकर दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में उन्होंने इन केसों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज करने की मांग की है।
न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की खंडपीठ ने सोमवार को मुंबई पुलिस को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
मार्च में मीडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में अबू आजमी ने औरंगजेब को एक बेहतर प्रशासक बताते हुए कहा था कि उसके शासनकाल में भारत की सीमाएं अफगानिस्तान से बर्मा तक फैली थीं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा था कि अगर औरंगजेब ने मंदिर तोड़े थे तो उसने मस्जिदें भी गिराई थीं।
यह बयान उन्होंने हिंदी फिल्म छावा की पृष्ठभूमि में दिया था, जो संभाजी महाराज और औरंगजेब के संघर्ष को चित्रित करती है। इस बयान के बाद उन्हें मार्च में महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र से निलंबित कर दिया गया था। साथ ही, मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थीं।
अबू आजमी का कहना है कि उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने किसी भी मराठा या हिंदू नेता के खिलाफ कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की। याचिका में यह भी कहा गया है कि दर्ज प्राथमिकी में किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत करने की कोई दुर्भावनापूर्ण मंशा नजर नहीं आती।
उन्होंने यह भी दलील दी कि एफआईआर राजनीतिक कारणों से दर्ज की गई हैं और यह कानून के दुरुपयोग का मामला है। निचली अदालत से आजमी को दोनों मामलों में अग्रिम जमानत मिल चुकी है। सत्र अदालत ने एफआईआर दर्ज करने से पहले उनका बयान पूरी तरह न पढ़ने पर पुलिस को फटकार लगाई थी और साथ ही आजमी को इंटरव्यू के दौरान संयम बरतने की भी सलाह दी थी।