यूपी के मुजफ्फरनगर में किसान नेता चै. जगबीर सिंह हत्याकांड के बाद भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष और बालियान खाप के चैधरी नरेश टिकैत के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे को लेकर दो किसान नेताओं के परिवारों में करीब 20 साल से चली आ रही कानूनी लड़ाई और रंजिश आखिरकार सामाजिक पहल पर मेल मिलाप की दहलीज तक पहुंची है। आज सामाजिक पंचायत में योगराज सिंह और टिकैत परिवार के बीच समझौता कराकर योगराज और राकेश टिकैत के गले मिलवाकर गिले खत्म करा दिये गये हैं।
पिछले साल ही निचली अदालत ने इस मामले में नरेश टिकैत को बरी किया था, लेकिन योगराज सिंह मामले की अपील लेकर ऊपरी अदालत चले गये थे। बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के चै. महेन्द्र सिंह टिकैत से अलग विचारधारा रखने वाले किसान नेता गांव अलावलपुर निवासी चैधरी जगबीर सिंह की छह सितंबर 2003 को भौराकलां थाना क्षेत्र के अलावलपुर माजरा गांव में देर शाम उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वो अपनी एम्बेसडर कार से शहर स्थित अपने घर से वापस गांव लौट रहे थे। चै. योगराज सिंह के पुत्र पूर्व मंत्री एवं रालोद नेता योगराज सिंह ने मामले में अलावलपुर गांव के राजीव उर्फ बिट्टू और प्रवीण के अलावा सिसौली निवासी भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चैधरी नरेश टिकैत के खिलाफ हत्या का मुकदमा पंजीकृत कराया था
मुकदमे के विचारण के दौरान प्रवीण और बिट्टू की मौत हो चुकी है। जांच में पुलिस और सीबीसीआईडी ने चैधरी नरेश टिकैत को क्लीन चिट दे दी थी। मगर, सत्र परीक्षण शुरू होने पर वादी के बयान अंतर्गत धारा 319 के तहत अदालत ने उन्हें आरोपी के रूप में तलब किया था। जगबीर सिंह हत्याकांड की सुनवाई काफी लंबी चली और जुलाई 2023 को इस मामले में अपर सत्र न्यायालय ;विशेष न्यायालय गैंगस्टर एक्टद्ध कोर्ट नंबर पांच के पीठासीन अधिकारी अशोक कुमार ने अपना फैसला सुनाते हुए नरेश टिकैत को सभी आरोपों से दोष मुक्त करार दिया था। अदालत का फैसला आने के बाद नरेश टिकैत ने इसे सच्चाई की जीत बताया था, लेकिन योगराज सिंह ने निचली अदालत के फैसले से असंतुष्ट होते हुए ऊपर अपील कर दी थी । 20 साल के बाद आये फैसले में दोष मुक्त होने के बाद भी नरेश टिकैत कानूनी पचड़े में फंसे हुए हैं। इसी को लेकर अदालत का फैसला आने के बाद नरेश टिकैत का दर्द सार्वजनिक रूप से छलका भी। पिछले दिनों सिसौली के किसान भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान नरेश टिकैत ने खुले मंच से इस पीड़ा को जाहिर करते हुए इस बात पर नाराजगी जताई थी कि सभी को पता है कि मैं और मेरा परिवार निर्दोष हैं, लेकिन इस हत्याकांड के बाद हुए मुकदमे में उनको फंसाये जाने के बाद समाज से किसी ने भी समझौते की पहल नहीं की।