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एम्स में डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी, मरीजों के इलाज पर असर

Report By : ICN Network

नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े अस्पताल, दिल्ली एम्स में डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी सामने आई है। एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, एम्स में डॉक्टरों के 430 और फैकल्टी के 2109 पद खाली हैं, जिससे मरीजों के इलाज में देरी हो रही है। समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय से तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है।

रिक्त पदों की स्थिति
रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स में 34.8% फैकल्टी पद खाली हैं, जबकि गैर-शैक्षणिक पदों में 16.29% की कमी है। इसके अलावा, सीनियर रेजिडेंट्स के 434 (37.48%) और जूनियर रेजिडेंट्स के 113 (46.89%) पद रिक्त हैं, जिससे अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। हालांकि, एम्स में 12,213 आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन आवश्यक स्टाफ की कमी से मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।

समाधान और सिफारिशें
संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि एम्स को एक बेहतर भर्ती प्रक्रिया अपनानी चाहिए, जिसमें आकर्षक वेतन और सुविधाएं देकर योग्य उम्मीदवारों को नियुक्त किया जाए। साथ ही, दिल्ली में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राजधानी के पास एक और एम्स खोलने की सिफारिश की गई है, जिससे मरीजों का भार कम किया जा सके।

बजट और विकास में रुकावटें
एम्स को विश्व स्तरीय संस्थान बनाने की योजना के तहत कई विकास परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, लेकिन जमीन अधिग्रहण और बजट स्वीकृति में देरी के कारण ये अटकी हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एम्स ने 2024-25 के बजट का केवल 81.96% ही उपयोग किया है, जिससे निर्माण कार्य की गति धीमी पड़ी है। परियोजना कार्यान्वयन, टेंडर प्रक्रिया और पर्यावरणीय बाधाओं जैसी समस्याओं के कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। समिति ने एम्स के आवासीय पुनर्विकास प्रोजेक्ट की धीमी प्रगति पर चिंता जताते हुए इसकी व्यापक समीक्षा की सिफारिश की है।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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