अजित पवार की सफाई
महाराष्ट्र के सोलापुर में एक पुलिस अधिकारी के साथ हुई बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर हंगामा मचाने के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपनी बात रखी है। उन्होंने साफ कहा कि उनका मकसद कानून-व्यवस्था को छेड़ना नहीं, बल्कि हालात को शांत रखना और तनाव को बढ़ने से रोकना था। पवार ने गर्व के साथ कहा कि उन्हें महाराष्ट्र पुलिस और खासकर कर्तव्यनिष्ठ महिला अधिकारियों की हिम्मत और ईमानदारी पर पूरा भरोसा है, और उनका सम्मान हमेशा सबसे ऊंचा रहेगा।
उन्होंने दो टूक कहा कि उनके लिए कानून का राज सबसे अहम है। वह एक स्वच्छ और निष्पक्ष प्रशासन के लिए वचनबद्ध हैं। चाहे अवैध रेत खनन हो, मिट्टी की चोरी हो या कोई और गैरकानूनी गतिविधि, कानून के मुताबिक ऐसी हर हरकत पर कड़ा प्रहार होगा। पवार ने फिर जोर दिया कि उनका हर कदम प्रशासन को पारदर्शी, निष्पक्ष और कानून के प्रति जवाबदेह बनाने की ओर होगा।
पूरा माजरा क्या है?
सोलापुर जिले के माढा तालुका के कुर्डू गांव में मुरूम (रेत) के खिलाफ कार्रवाई ने सियासी आंधी ला दी है। मामला तब और उछला, जब उपमुख्यमंत्री अजित पवार और माढा की डीएसपी अंजना कृष्णन के बीच कथित वीडियो कॉल वायरल हो गई। इसने पूरे गांव को राज्यभर में सुर्खियों का केंद्र बना दिया।
ग्रामीणों का गुस्सा: सुरक्षाकर्मी ने तानी बंदूक
ग्रामीणों ने इल्जाम लगाया कि कार्रवाई के दौरान डीएसपी अंजना कृष्णन के सुरक्षाकर्मी ने बंदूक तान दी थी। इतना ही नहीं, महसूल विभाग के एक कर्मचारी ने हॉकी स्टिक उठाकर माहौल को और गर्म कर दिया। गांव में पहले से ही खस्ताहाल सड़कों को लेकर गुस्सा पनप रहा था, और इस कार्रवाई ने ग्रामीणों और पुलिस के बीच तीखी झड़प को हवा दे दी।
मंडल अधिकारी ने तहसीलदार बनकर उलझाया मामला
खबर है कि एक मंडल अधिकारी ने तहसीलदार का नाम लेकर फोन पर बात की, जिससे डीएसपी को गलतफहमी हो गई। इसी दौरान, गांव के कार्यकर्ता बाबा जगताप ने सीधे उपमुख्यमंत्री अजित पवार को फोन लगाकर हालात की शिकायत कर दी।
ग्रामीणों की मांग: एफआईआर वापस लो, वरना मोर्चा तय है
ग्रामीणों का कहना है कि कार्रवाई गलत तरीके से हुई और वे दर्ज मुकदमों (एफआईआर) को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो वे प्रांत कार्यालय पर बांगड़ी मोर्चा निकालने को तैयार हैं।