पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया, लेकिन उनकी पारी पूरी तरह से ढह गई। सलमान आगा की कप्तानी वाली टीम ने शुरुआत तो ठीक की, लेकिन मिडिल ऑर्डर में भयानक गिरावट ने सबको चौंका दिया। भारत के गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया और पाकिस्तान को महज 33 रनों के अंदर 9 विकेट गिराने का कमाल कर दिखाया। जसप्रीत बुमराह, कुलदीप यादव और वरुण चक्रवर्ती ने अपनी किफायती गेंदबाजी से पाकिस्तानी बल्लेबाजों को खुला खेलने का मौका ही नहीं दिया। फखर जमान (32) और मोहम्मद हारिस (28) जैसे बल्लेबाजों के अलावा कोई पाकिस्तानी बल्लेबाज बड़ा स्कोर नहीं खड़ा कर सका। कुल मिलाकर, पाकिस्तान की पारी 146 रनों पर सिमट गई, जो लक्ष्य के लिहाज से अपेक्षाकृत कम साबित हुई। तिलक की ‘फिनिशर’ वाली पारी, रिंकू सिंह ने लगाया विजयी छक्का
लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को शुरुआत में झटका लगा। पावरप्ले में ही 20/3 की स्थिति पर पहुंच गई, जब अभिषेक शर्मा (12), शुभमन गिल (15) और सूर्यकुमार यादव (8) सस्ते में आउट हो गए। लेकिन यहां तिलक वर्मा ने कमाल कर दिखाया। दबाव में रहते हुए उन्होंने संयमित और आक्रामक बल्लेबाजी का नमूना पेश किया। तिलक ने 48 गेंदों पर 69 रन ठोके, जिसमें 6 चौके और 3 छक्के शामिल थे। उनके साथ रिंकू सिंह ने महत्वपूर्ण साझेदारी निभाई और अंतिम ओवर में एक शानदार छक्का लगाकर भारत को 6 विकेट से जीत दिलाई। शिवम दुबे ने भी 22 रनों की उपयोगी पारी खेली। भारत की जीत के हीरो तिलक वर्मा को ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया, जबकि श्रृंखला में उनका प्रदर्शन यादगार रहा। 41 सालों का इंतजार समाप्त: पहली बार फाइनल में पाक पर जीत
यह जीत भारत के लिए ऐतिहासिक है। एशिया कप के 41 साल और 16 संस्करणों के इतिहास में पहली बार भारत और पाकिस्तान फाइनल में आमने-सामने हुए, और भारत ने पाकिस्तान को हराकर खिताब पर कब्जा जमाया। इससे पहले भारत ने एशिया कप 8 बार जीता था, लेकिन कभी पाकिस्तान को फाइनल में नहीं हरा पाया। टूर्नामेंट में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ तीनों मुकाबलों में जीत हासिल की – ग्रुप स्टेज में 7 विकेट से, सुपर-4 में 41 रन से और अब फाइनल में 6 विकेट से। कप्तान सूर्यकुमार यादव ने मैच के बाद कहा, “यह टीम का सामूहिक प्रयास है। तिलक ने दबाव में शानदार बल्लेबाजी की। हमने पाकिस्तान को कभी हल्के में नहीं लिया, लेकिन हमारी रणनीति काम आ गई।”


