- यह समस्या फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, टेनिस और कुश्ती जैसे खेलों में ज्यादा देखी जाती है।
- अचानक तेजी से दिशा बदलना, जोरदार हलचल या अत्यधिक स्ट्रेचिंग इस समस्या को बढ़ा सकती है।
- पेट के निचले हिस्से या जांघ के आसपास तेज दर्द।
- खेलते, दौड़ते या व्यायाम करते समय दर्द का बढ़ना।
- खांसने, छींकने या हल्की हरकत में भी दर्द का अहसास।
- समय के साथ सामान्य चलने-फिरने में भी परेशानी।
- अगर समय पर सर्जरी न हो, तो यह खिलाड़ी की खेल क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है और उन्हें लंबे समय तक मैदान से दूर रख सकता है।
- खिलाड़ियों के लिए जोखिम: लगातार दर्द और सीमित गतिशीलता से करियर पर खतरा मंडरा सकता है।
- इलाज में देरी होने पर सामान्य जीवन भी प्रभावित हो सकता है।
- शुरुआती दौर में डॉक्टर आराम, फिजियोथेरेपी और दवाओं के जरिए इसे नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।
- अगर दर्द कम न हो, तो सर्जरी ही एकमात्र रास्ता बचता है।
- सूर्यकुमार यादव ने भी जर्मनी में सर्जरी करवाई, ताकि वह पूरी तरह ठीक होकर क्रिकेट के मैदान पर धमाकेदार वापसी कर सकें।
- खेल से पहले सही तरीके से वॉर्म-अप और स्ट्रेचिंग करना।
- पेट और जांघ की मांसपेशियों को मजबूत करने वाली कसरतें करना।
- खेल के दौरान अचानक तेज और जोरदार हलचल से बचना।