भाजपा हाईकमान ने आठवीं बार फिर से सहज स्वभाव से पहचान बना चुके भानु प्रताप वर्मा पर विश्वास करते हुए लोकसभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। वह पिछले सात बार के चुनाव में केवल दो बार ही हारे हैं, जबकि पांच बार लोकसभा पहुंच चुके हैं। टिकट की घोषणा होते ही उरई के चुनाव कार्यालय में जमकर आतिशबाजी हुई। एक दूसरे को मिठाई खिलाकर पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। उनके घर कोंच में भी करीबियों ने घर में आकर उन्हें व परिवार को बधाई दी।
वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री भानु प्रताप वर्मा का राजनीतिक करियर नब्बे के दशक से शुरू हुआ। कोंच नगर पालिका में सभासद का चुनाव जीते थे। उसके बाद 1991-92 में उन्हें कोंच विधानसभा से टिकट मिला और जीत हासिल की। जालौन सीट से गया प्रसाद कोरी सांसद थे। उनके असमय निधन पर भानु प्रताप वर्मा को उपचुनाव में सांसदी लड़ाई गई। 1996 के उपचुनाव में जीत के बाद उन्हें फिर भाजपा ने आजमाया और वह खरे उतरे।
जीत के बाद तीसरी बार फिर चुनाव लड़े, लेकिन इस बार बसपा के बृजलाल खाबरी से उन्हें शिकस्त मिली। उसके बाद वर्ष 2004 में समाजवादी पार्टी के घनश्याम अनुरागी को हराकर भानु प्रताप वर्मा ने जीत हासिल की। उसके बाद 2009 में हुए चुनाव में वह तीसरे नंबर पर रहे थे और सपा के घनश्याम अनुरागी ने बसपा के तिलक सिंह अहिरवार को हराकर जीत हासिल की थी। 2014 के चुनाव में उन्होंने बृजलाल खाबरी से बदला लिया और उन्हें हराया।
2019 के चुनाव में उन्होंने बसपा के अजय सिंह को हराया। इस बार चार दावेदारों ने टिकट के लिए जोर लगाया था। इसमें जिला पंचायत अध्यक्ष घनश्याम अनुरागी और शहर विधायक गौरीशंकर वर्मा भी शामिल थे, लेकिन भाजपा ने भानु प्रताप वर्मा पर ही भरोसा जताया। माना जा रहा है कि साफ सुथरी छवि की वजह से भाजपा ने फिर से प्रत्याशी के रूप में उन्हें चुना है।