शिवसेना के एकजुट दिनों में एक विभाग प्रमुख को लोकसभा स्तर की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। बाद में, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में इसे बदलकर तीन विधानसभाओं के लिए एक विभाग प्रमुख नियुक्त किया गया। शिंदे गुट ने शुरूआत में भी कुछ क्षेत्रों में दो या तीन विधानसभाओं के लिए एक विभाग प्रमुख की व्यवस्था रखी। लेकिन अब, शिंदे ने हर विधानसभा को अलग-अलग नेतृत्व देकर संगठन को और चुस्त-दुरुस्त किया है। इस बदलाव का मकसद स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं को सशक्त करना और बीएमसी चुनाव में हर वार्ड में मजबूत पकड़ बनाना है। क्षेत्रीय नेतृत्व को दी जिम्मेदारी शिंदे सेना ने अपनी रणनीति में स्थानीय विधायकों और उनके करीबी नेताओं को प्राथमिकता दी है। जिन विधानसभाओं में पार्टी के विधायक हैं, वहां संबंधित विधायक या उनके विश्वस्त सहयोगियों को विभाग प्रमुख बनाया गया है। मिसाल के तौर पर:
- दहिसर विधानसभा: हिंदी भाषी चेहरा राम यादव को जिम्मेदारी सौंपी गई, जो क्षेत्र में पार्टी की पैठ को मजबूत करने के लिए अहम कड़ी बन सकते हैं।
- मागाठाणे विधानसभा: विधायक प्रकाश सुर्वे ने अपने करीबी मनोहर देसाई को विभाग प्रमुख नियुक्त किया।
- कुर्ला विधानसभा: विधायक मंगेश कुडालकर ने अपने विश्वस्त विनोद कांबले को यह जिम्मा सौंपा।
- चांदिवली विधानसभा: विधायक दिलीप लांडे को स्वयं विभाग प्रमुख बनाया गया।
- अंधेरी विधानसभा: विधायक मुरली पटेल को जिम्मेदारी दी गई।
- भांडुप विधानसभा: अशोक पाटील को विभाग प्रमुख नियुक्त किया गया।