Report By : ICN Network
मुंबई में हाल ही में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए 2 लाख रुपये का जुर्माना निर्धारित किया है। यह मामला तब सामने आया जब बीएमसी द्वारा कैंसर मरीजों के लिए अस्थायी आश्रय के रूप में इस्तेमाल हो रहे एक ढांचे को बिना उचित पूर्व सूचना और प्रक्रिया के गिरा दिया गया। इस कदम से कई मरीजों और उनके परिवारों को असुविधा हुई और वे आपदा की स्थिति में पड़ गए।
अदालत ने यह दर्शाया कि ऐसे संवेदनशील मामलों में सरकारी एजेंसियों को सामाजिक जिम्मेदारी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जब किसी ऐसे ढांचे का ध्वस्त किया जाता है जो कमजोर और बीमार वर्ग के लोगों के लिए सहारा का काम करता है, तो प्रशासन को न केवल उचित पूर्व सूचना देनी चाहिए, बल्कि वैकल्पिक व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी चाहिए।
यह मामला तब अदालत में आया जब एक गैर-लाभकारी संस्था ने याचिका दायर की, जिसमें यह दावा किया गया कि बीएमसी की कार्रवाई से कैंसर मरीजों के लिए सुरक्षित आश्रय उपलब्ध कराने में रुकावट पैदा हो गई है। अदालत ने कहा कि बीएमसी को भविष्य में ऐसे संवेदनशील मामलों में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है और यह जुर्माना इस बात का उदाहरण है कि प्रशासन को अपने कार्यों में सामाजिक हितों का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
साथ ही, न्यायालय ने निर्देश दिया कि इस जुर्माने की राशि का उपयोग उन प्रभावित मरीजों के कल्याण हेतु किया जाए, ताकि उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान की जा सके और उनका सामाजिक सुरक्षा तंत्र मजबूत हो सके।