Report By : ICN Network
मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस की रणनीति अब नए मोड़ पर आ गई है। दिल्ली में सोमवार को हुई एक अहम बैठक में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने प्रदेश प्रभारी रमेश चेन्निथला को सुझाव दिया कि आगामी बीएमसी चुनाव कांग्रेस को अपने दम पर लड़ना चाहिए।
बैठक में मौजूद नेताओं का तर्क था कि मौजूदा गठबंधन के बावजूद अल्पसंख्यक वोट भले शिवसेना (यूबीटी) की तरफ जा रहे हों, लेकिन हिंदुत्व समर्थक वोट कांग्रेस को नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में उन्हें लगता है कि कांग्रेस को स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरना ही ज्यादा व्यावहारिक होगा। हालांकि अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान द्वारा ही लिया जाएगा। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल, पूर्व अध्यक्ष नाना पटोले और सांसद राजनी पाटिल समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल थे।
सूत्रों के मुताबिक, मुंबई क्षेत्र में हालिया विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को गठबंधन से अपेक्षित लाभ नहीं मिला। पार्टी का मानना है कि शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस की सामाजिक व राजनीतिक आधारभूमि अलग-अलग है, जिस कारण मतदाताओं का एक-दूसरे की ओर ट्रांसफर प्रभावी नहीं हो सका।
हालांकि बीएमसी चुनाव की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, राज्य निर्वाचन आयोग को चार हफ्तों के भीतर चुनाव की घोषणा करनी होगी। माना जा रहा है कि चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 के बीच कराए जा सकते हैं। पिछली बार (2017) कांग्रेस ने बीएमसी में 31 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना को 84 और बीजेपी को 82 सीटें मिली थीं।
फिलहाल महायुति गठबंधन (बीजेपी, एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी) मुंबई में मजबूत स्थिति में है। 2024 के विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन ने मुंबई की 36 में से 22 सीटें जीती थीं। दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी) को पिछली पराजय के बाद खुद को साबित करने की चुनौती है।
विशेष रूप से उद्धव ठाकरे के लिए यह चुनाव अहम है क्योंकि 2022 में पार्टी टूटने और हाल ही में विधानसभा चुनावों में मिली हार ने उनकी राजनीतिक पकड़ कमजोर की है।