Delhi CM Rekha GuptaCovid Martyrs Compensation: दिल्ली की भाजपा सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले नायकों के परिवारों के लिए एक बड़ा और संवेदनशील कदम उठाया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की कि कोविड ड्यूटी के दौरान शहीद हुए कर्मचारियों के परिजनों को जल्द ही 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी। यह वादा, जो 2021 में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया था, आम आदमी पार्टी की सरकार के 2025 तक सत्ता में रहते हुए भी पूरा नहीं हो सका था।
मुआवजे के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि इस राशि को जल्द से जल्द परिवारों तक पहुंचाने के लिए एक उच्चस्तरीय ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) का गठन किया गया है। इस समिति में कैबिनेट मंत्री आशीष सूद, कपिल मिश्रा, डॉ. पंकज कुमार सिंह, रिलीफ ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी डिविजनल कमिश्नर नीरज सेमवाल और डीएम अमोल श्रीवास्तव शामिल हैं। समिति का लक्ष्य सभी मामलों की सघन जांच और सत्यापन कर अनुग्रह राशि को त्वरित गति से वितरित करना है।
कोविड योद्धाओं की शहादत को सलाम
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कोविड काल में डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल कर्मियों, सफाई कर्मचारियों, शिक्षकों और अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स के अदम्य साहस और बलिदान को याद किया। उन्होंने कहा, “इन वीरों ने अपनी जान की परवाह किए बिना मानवता की सेवा की। उनका योगदान दिल्ली के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि 2020-21 में कोविड ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों की लंबित अनुग्रह राशि अब भाजपा सरकार द्वारा शीघ्र जारी की जाएगी।
रेखा गुप्ता ने पूर्ववर्ती केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने इस मुद्दे पर केवल घोषणाओं का शोर मचाया, लेकिन पांच साल तक प्रक्रिया पूरी न होने से परिवारों को सहायता नहीं मिली। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाजपा सरकार ने प्रक्रियाओं को सरल और मानवीय बनाया है ताकि शहीदों के परिवारों को समय पर सहायता मिले।
अनुग्रह राशि: सम्मान और एकजुटता का प्रतीक
मुख्यमंत्री ने कहा, “यह अनुग्रह राशि सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि उन परिवारों के प्रति कृतज्ञता, न्याय और एकजुटता का प्रतीक है।” उन्होंने शहीद कर्मचारियों के परिजनों को भरोसा दिलाया कि सरकार उनके त्याग और दर्द को हमेशा याद रखेगी और उनकी सहायता के लिए हर संभव प्रयास करेगी। यह कदम न केवल प्रशासनिक सुधारों का द्योतक है, बल्कि दिल्ली सरकार की संवेदनशीलता और जवाबदेही का भी परिचायक है।