नरेला में सरकारी शराब दुकान पर मिलावटी शराब पकड़े जाने के बाद विभाग के अधिकारियों में तनाव बढ़ गया है। यह घटना उस दावे पर सवाल खड़ा करती है कि दिल्ली में केवल असली शराब ही बेची जा रही है। साथ ही, ऐसे मामलों को रोकना अब विभाग के लिए और बड़ी चुनौती बन गया है। एडवाइजरी तो जारी कर दी गई है, लेकिन विभाग का निगरानी तंत्र कमजोर होने के कारण लगातार समस्याएं सामने आ रही हैं।
30 अक्टूबर को नरेला की सरकारी शराब दुकान पर पहली बार मिलावटी शराब पकड़ी गई। हालांकि, माना जा रहा है कि अवैध शराब का यह खेल लंबे समय से चल रहा है। सूत्रों के अनुसार पड़ोसी राज्यों में शराब सस्ती होने के कारण वहां से मिलावटी और अवैध शराब दिल्ली में पहुंच रही है। यह पूरा नेटवर्क दिल्ली में अवैध शराब सप्लाई करता है और यह पहला मामला है जो किसी सरकारी दुकान पर पकड़ा गया है। इस वजह से संभावना जताई जा रही है कि अन्य दुकानों, खासकर सीमावर्ती इलाकों में भी ऐसे मामले मौजूद हो सकते हैं।
निगरानी तंत्र की स्थिति बेहद खराब है। प्रवर्तन विंग में कुल 60 स्वीकृत पदों में से 43 लंबे समय से खाली पड़े हैं और सिर्फ 17 कर्मचारी ही सक्रिय हैं। यहां तक कि विंग के मुखिया के रूप में नियुक्त होने वाले एसीपी का पद भी रिक्त है। एकमात्र निरीक्षक का पद भी खाली है। हवलदारों और सिपाहियों की संख्या भी बेहद कम है, जिसके कारण पूरे दिल्ली में निगरानी लगभग नाम मात्र रह गई है। इस वजह से कई समस्याएं बढ़ रही हैं और अवैध गतिविधियों को रोकना मुश्किल हो गया है।
आबकारी विभाग ने अब मौजूदा स्टाफ के माध्यम से सभी संदिग्ध दुकानों की निगरानी बढ़ा दी है। साथ ही शराब बेचने वाले सभी चार निगमों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और ग्राहकों की शिकायतों का तत्काल समाधान करना होगा। दुकानदारों को चेतावनी दी गई है कि यदि शिकायतें बनी रहती हैं, तो दुकान का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
नरेला मिलावट कांड के बाद DSIDC की कार्रवाई भी सामने आई है। 30 अक्टूबर को कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए छह लोगों को निलंबित कर दिया गया। आरोप है कि महंगी ब्रांड की खाली बोतलों में सस्ती शराब भरकर बेची जा रही थी और यह शराब दूसरे राज्यों से भी मंगाई जाती थी। इस प्रकरण की जांच अब तेज कर दी गई है।
राजधानी की शराब दुकानों के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही हैं। अधिक कीमत वसूलने, सभी ब्रांड उपलब्ध न होने, नाबालिगों को शराब बेचने, कर्मचारियों का गलत व्यवहार, दुकानों के बाहर खुले में शराब पीने और झगड़े-मारपीट की घटनाओं में बढ़ोतरी जैसी शिकायतें विभाग तक पहुंच रही हैं। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए स्पष्ट है कि आबकारी विभाग अब गड़बड़ी पर सख्त कार्रवाई के मूड में है।