दिल्ली में शुक्रवार को हुई बारिश ने पिछले 27 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जो एक असामान्य मौसमी घटना रही। 1997 के बाद से दिसंबर महीने में इतनी बारिश नहीं हुई थी। वर्ष 1997 में दिसंबर के दौरान कुल 71.8 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जिसे अब 2024 में हुए इस मौसमी बदलाव ने पीछे छोड़ दिया है सफदरजंग मौसम केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार सुबह 8:30 बजे तक 11.3 मिमी बारिश दर्ज की गई। यह बारिश न केवल ठंड के मौसम में अप्रत्याशित मानी जा रही है, बल्कि इसके कारण तापमान में भी गिरावट आई है। मौसम विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार बारिश की यह गतिविधि पश्चिमी विक्षोभ और अन्य मौसमी कारणों का परिणाम हो सकती है, जो आमतौर पर सर्दियों में कम ही सक्रिय होते हैं इस बारिश ने दिल्लीवासियों को हल्की ठंड के बीच अचानक नमी और ठंड के मिश्रण का अनुभव कराया। इससे यातायात और अन्य जनजीवन पर भी हल्का असर पड़ा। कई स्थानों पर जलभराव की स्थिति भी देखी गई। हालांकि, यह बारिश किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है क्योंकि यह मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करती है। फिर भी, दिसंबर के महीने में इस प्रकार की अप्रत्याशित बारिश ने मौसमी रुझानों को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है। यह घटना जलवायु परिवर्तन की ओर भी इशारा करती है, जिसे ध्यान में रखते हुए भविष्य की रणनीतियों पर विचार करना जरूरी हो गया है
दिल्ली में शुक्रवार को हुई बारिश ने 1997 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 27 वर्षों में सर्वाधिक बारिश दर्ज

दिल्ली में शुक्रवार को हुई बारिश ने पिछले 27 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जो एक असामान्य मौसमी घटना रही। 1997 के बाद से दिसंबर महीने में इतनी बारिश नहीं हुई थी। वर्ष 1997 में दिसंबर के दौरान कुल 71.8 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जिसे अब 2024 में हुए इस मौसमी बदलाव ने पीछे छोड़ दिया है सफदरजंग मौसम केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार सुबह 8:30 बजे तक 11.3 मिमी बारिश दर्ज की गई। यह बारिश न केवल ठंड के मौसम में अप्रत्याशित मानी जा रही है, बल्कि इसके कारण तापमान में भी गिरावट आई है। मौसम विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार बारिश की यह गतिविधि पश्चिमी विक्षोभ और अन्य मौसमी कारणों का परिणाम हो सकती है, जो आमतौर पर सर्दियों में कम ही सक्रिय होते हैं इस बारिश ने दिल्लीवासियों को हल्की ठंड के बीच अचानक नमी और ठंड के मिश्रण का अनुभव कराया। इससे यातायात और अन्य जनजीवन पर भी हल्का असर पड़ा। कई स्थानों पर जलभराव की स्थिति भी देखी गई। हालांकि, यह बारिश किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है क्योंकि यह मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करती है। फिर भी, दिसंबर के महीने में इस प्रकार की अप्रत्याशित बारिश ने मौसमी रुझानों को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है। यह घटना जलवायु परिवर्तन की ओर भी इशारा करती है, जिसे ध्यान में रखते हुए भविष्य की रणनीतियों पर विचार करना जरूरी हो गया है