Report By-Sachin Upadhyay Kasganj(UP)
यूपी के कासगंज जनपद के तीर्थ नगरी सोरों शूकर क्षेत्र में वैसे तो श्रद्धालु रोजाना अपने-अपने परिजनों के अस्ति विसर्जन पिंडदान आदि करने के लिए पहुंचते हैं ।लेकिन रविवार को तीर्थ नगरी सोरों शूकर क्षेत्र में एक अनोखा मामला देखने को मिला ।श्रद्धा और मानवता की मिसाल देखने को मिली। मध्य प्रदेश के मंदसौर भान पूरा तहसील के खेड़ा गांव से जिले से पहुंचे श्रद्धालुओं ने बताया अपने गांव में बुजुर्ग बैलों की मृत्यु के बाद उनका हिंदू संस्कृति सनातन संस्कृति के अनुसार किर्याक्रम किया ।उसके बाद तीर्थ नगरी सोरों शूकर क्षेत्र तीर्थ पहुंचे श्रद्धालुओ बैलों के पिंडदान श्राद्ध कर्म किया ।मंदसौर से पिंडदान करने तीर्थ नगरी पहुंचे भवानी सिंह ने बताया कि वह अपने बैलों को पिछले 20 वर्ष से अपने खेती बाड़ी आदि में सहयोग ले रहे थे ।वृद्धावस्था में दोनों बैलों माना और श्यामा की मौत हो जाने के बाद उनके परिजनों ने निर्णय लिया दोनो बैलों का हमारे परिजनों की तरह थे। और अपने माता-पिता की तरह उन्हें हमने संरक्षण दिया तो उनके मरने के बाद हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उनका हिंदू रीति रिवाज से मृतक होने के बाद जो संस्कार किया जाता है उसे करें। इसी को लेकर वह तीर्थ नगरी सोरों शूकर क्षेत्र में बैलों के पिंडदान बैल माना और श्याम नाम के बैलों के पिंडदान करने तीर्थ नगरी सोरों पन्हूचे सोरों जी कुंड में विधि विधान से पिंड दान ,दान पुण्य किया।उनके तीर्थ पुरोहित उमेश पाठक ने हरि की पौड़ी वराह घाट के निकट उन बैलों का पिंडदान क्रिया कर्म विधि विधान से कराया।
तीर्थ पुरोहित उमेश पाठक ने बताया सनातन धर्म में जिस तरीके से मनुष्यों के क्रिया कर्म करने का विधान है जिस तरीके से भगवान श्री राम ने अपने पिता के मित्र जटायू पक्षी का दाह संस्कार क्रिया कर्म किया था उसी तरीके से हमारे यजमान तीर्थ पुरोहितों ने मध्य प्रदेश से आकर सोरोंजी कुंड में दोनों बैलों माना श्याम का पिंडदान श्राद्ध कर्म किया है। एवं वह अपने गांव मंदसौर में बैलों की निमित्त गंगौज एवं 3000 लोगों का भोज भी बड़े ही धूमधाम से करेंगे।।