Report By : ICN Network
उत्तर प्रदेश सरकार ने आपदा प्रबंधन तंत्र के सुदृढ़ीकरण और आपदा न्यूनीकरण के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) अतुल कुमार के निर्देशानुसार, जिला आपदा विशेषज्ञ ओमकार चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार ने ‘सेवा, सुरक्षा और सुशासन’ के तहत पिछले आठ वर्षों में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। वर्तमान में प्रदेश में 11 आपदाओं को राज्य आपदा के रूप में अधिसूचित किया गया है। हाल के वर्षों में सरकार ने नाव दुर्घटना, सर्पदंश, सीवर सफाई में हादसे, गैस रिसाव, बोरवेल में गिरना, मानव-वन्यजीव संघर्ष, डूबना और नीलगाय या सांड के हमले को भी राज्य आपदा की श्रेणी में जोड़ा है, ताकि अधिकतम पीड़ितों को राहत दी जा सके।
जिले में वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतर्गत 40 आपदा पीड़ित परिवारों को 40 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की गई, 5 घायलों को 58,800 रुपए, तथा शीतलहर से बचाव के लिए 6500 कंबलों का वितरण किया गया। 27 मकान क्षति पीड़ितों को वित्तीय सहायता दी गई। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश सरकार ने गौतमबुद्ध नगर में 2.59 करोड़ रुपए की लागत से भूकंप रीजनल सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई है।
प्रदेश में आपदा प्रबंधन को पारदर्शी और तेज़ बनाने के लिए End to End Beneficiary Management System लागू किया गया है, जिससे राहत वितरण की पूरी प्रक्रिया पेपरलेस हो गई है। राज्य में बाढ़ प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए पहले चरण में 8 अति संवेदनशील जिलों में बाढ़ शरणालयों की स्थापना की जा रही है। इनमें अयोध्या, अंबेडकर नगर, बाराबंकी, गोरखपुर में 300-सीट क्षमता वाले और देवरिया, बस्ती, बलिया, मऊ में 150-सीट क्षमता वाले शरणालय बनाए जा रहे हैं।
आग से होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए 230.60 करोड़ रुपए की राशि अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए आवंटित की गई है। 18 मंडलों में मल्टी डिजास्टर वाहनों के लिए 71.65 करोड़ रुपए और अग्निशमन उपकरणों के लिए 78.08 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।
आपदा से बचाव और जनजागरूकता के लिए 2118 राहत चौपालों का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों को आपदा प्रबंधन, बचाव और सुरक्षा उपायों की जानकारी दी गई। मौसम पूर्वानुमान प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए 450 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और 2000 ऑटोमेटिक रेन गेज पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। अब लखनऊ सहित 18 अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 100 AWS और 400 ARG लगाने की योजना है।
राज्य में सर्पदंश न्यूनीकरण कार्यक्रम को भी प्राथमिकता दी जा रही है। सोनभद्र, बाराबंकी और गाजीपुर में इस योजना की सफलता के बाद इसे 18 जिलों में लागू करने की स्वीकृति मिल गई है। इसके अलावा, आजमगढ़, लखनऊ, झांसी, गोरखपुर और वाराणसी में डॉप्लर वेदर रडार की स्थापना की जा रही है, जिससे मौसम संबंधी चेतावनी प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।
महाकुंभ 2025 के दौरान आपदा न्यूनीकरण के लिए विभिन्न विभागों को 192.50 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा, 444 डिजिटल साइनेज बोर्ड स्थापित किए गए हैं, जिनका केंद्रीय सर्वर IIIT लखनऊ में स्थापित किया गया है। ये साइनेज बोर्ड आपदाओं की पूर्व चेतावनी और जागरूकता बढ़ाने में मदद करेंगे।