प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 260 करोड़ रुपये के साइबर ठगी मामले में दिल्ली और तीन राज्यों में 11 ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस और सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई। ठगों ने खुद को पुलिस बताकर लोगों को गिरफ्तारी की धमकी दी और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए ठगी की।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को एक वैश्विक साइबर ठगी मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली और तीन राज्यों में 11 ठिकानों पर छापेमारी की।यह ठगी 260 करोड़ रुपये की है। इस मामले में ठगों ने विदेशी और भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया है। ED ने दिल्ली पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की FIR के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत यह कार्रवाई की।
क्रिप्टोकरेंसी के जरिए ठगी का जालफ्रॉड करने वालों ने पीड़ितों की संपत्ति को क्रिप्टोकरेंसी में बदला और फिर इसे कई क्रिप्टो-वॉलेट्स में ट्रांसफर किया। ED के मुताबिक, आरोपियों ने 260 करोड़ रुपये के बिटकॉइन जमा किए, जिन्हें बाद में UAE में कई हवाला ऑपरेटरों और व्यक्तियों के जरिए USDT में बदलकर नकदी में तब्दील किया गया।इससे पहले, 26 जून को CBI ने मुंबई और अहमदाबाद में छापेमारी कर एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी गिरोह के अहम सदस्य को गिरफ्तार किया था। इस शख्स का नाम प्रिंस जशवंतलाल आनंद है। वह आम तौर पर अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को निशाना बनाने वाले रैकेट का मास्टरमाइंड है।
फर्जी नोटिस और डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी
CBI के मुताबिक, यह गिरोह सरकारी अधिकारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों का भेष बनाकर फर्जी कानूनी धमकियां देता था। 25 जून को ED ने गुजरात और महाराष्ट्र में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की साइबर ठगी के मामले में छापेमारी की थी। अहमदाबाद, सूरत और मुंबई में PMLA के तहत कार्रवाई हुई।
इस मामले में मुख्य आरोपियों में मकबूल डॉक्टर, काशिफ डॉक्टर, बसम डॉक्टर, महेश मफतलाल देसाई और मज अब्दुल रहीम नदा शामिल हैं। इन लोगों ने फर्जी प्रवर्तन नोटिस, USDT क्रिप्टो ट्रेडिंग घोटाले और डिजिटल गिरफ्तारी की धमकियों जैसे हथकंडों से लोगों को लूटा है।