Report By-Vidya Prakash Bharti Mirzapur (UP)
यूपी के मिर्ज़ापुर में पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से मैदानी इलाकों का तापमान गिरने लगा है.वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर देवराज यादव ने बताया कि ठंड शुरू होते ही ओपीडी में निमोनिया से पीड़ित बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं..निमोनिया के खतरनाक होने का एक कारण यह भी है कि यह बीमारी वायरस, बैक्टीरिया और फंगी तीनों के कारण हो सकती है। पूरे उत्तर भारत में इन दिनों ठंड बढ़ गई है. उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से मैदानी इलाकों का तापमान गिरने लगा है. दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में इन पहाड़ों से चलने वाली तेज बर्फीली हवाओं के कारण लोगों को ठिठूरन का सामना करना पड़ रहा है. सर्दियों के मौसम में कई सारी बीमारियां भी तेजी से पैर पसारने लगती हैं.
खासकर छोटे बच्चों में खांसी, बुखार, जुकाम, निमोनिया सहित अन्य प्रकार के केस काफी ज्यादा देखने में आते हैं.वक्त रहते अगर इन बीमारियों के लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए तो स्थिति काफी ज्यादा गंभीर हो सकती है. इनमें निमोनिया सबसे अधिक बच्चों को नुकसान पहुंचाती है. देश में हर साल कई बच्चे इससे पीड़ित होते हैं. वहीं, समय पर इलाज न होने से कई बच्चों की इससे मौत भी हो जाती है. ऐसे में जरूरी है कि निमोनिया के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर तत्काल बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए.समय से इलाज है जरूरीमिर्जापुर मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर देवराज यादव ने बताया कि ठंड शुरू होते ही ओपीडी में निमोनिया से पीड़ित बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं. समय से इलाज न मिलने पर यह बीमारी जानलेवा हो सकती है. ऐसे में जरूरी है की माता -पिता समय रहते बच्चों का विशेष ध्यान रखें और निमोनिया के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर डॉक्टर से सलाह लें.
डॉक्टर देवराज ने कहा कि नवजात शिशु से लेकर 14 साल तक के बच्चों के शरीर के तापमान में अगर थोड़ी सी भी गिरावट देखने को मिले तो तुरंत बालरोग विशेषज्ञ से सलाह लें.क्यों खतरनाक है निमोनिया?डॉक्टर देवराज यादव ने बताया कि निमोनिया के खतरनाक होने का एक कारण यह भी है कि यह बीमारी वायरस, बैक्टीरिया और फंगी तीनों के कारण हो सकती है. इसलिए यह छोटे बच्चों में काफी जानलेवा साबित हो सकती है. सीडीसी के मुताबिक, ओमिक्रॉन का वायरस SARS-CoV-2, इंफ्लूएंजा और आरएसवी वायरस भी निमोनिया होने का कारण बन सकते हैं.निमोनिया के कारण⦁ जन्म के समय निमोनिया का टीका न लगाना.⦁ बैक्टीरिया या फिर वायरस के संक्रमण⦁ अगर बच्चे के जन्म से दिल में किसी प्रकार का विकार है तो इससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है.निमोनिया के लक्षण⦁ बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने के साथ ही काफी तीव्र गति से सांस चलना.⦁ भूख में कमी आना, इस दौरान बच्चा दूध नहीं पीता है या दूध पीने में उस परेशानी होती है.⦁ बच्चे की पसलियों या सीने में दर्द होना.⦁ बच्चों के आंख, कान और गले में भी दर्द होना .⦁ अत्यधिक थकान और तेज ठंड के साथ बुखार आना.⦁ कई बार जी मिचलाता है और उल्टियां भी हो सकती हैं.लापरवाही बन सकती है निमोनिया का कारणवरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर देवराज यादव ने बताया कि कई बार माता-पिता के लापरवाही के वजह से बच्चों को निमोनिया की शिकायत हो जाती है. ऐसे में विशेष रूप से ध्यान रखें कि बच्चा रात में गीले कपड़े पर न सोए. इसके अलावा ठंड से बचाव के लिए बच्चों को गर्म कपड़े पहनना शुरू कर दें. हाथ-कान और पैर को ढक कर रखें, जिससे कि बच्चों को ठंड न लगे..मिर्जापुर : पूरे उत्तर भारत में इन दिनों ठंड बढ़ गई है. उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी से मैदानी इलाकों का तापमान गिरने लगा है. दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में इन पहाड़ों से चलने वाली तेज बर्फीली हवाओं के कारण लोगों को ठिठूरन का सामना करना पड़ रहा है. सर्दियों के मौसम में कई सारी बीमारियां भी तेजी से पैर पसारने लगती हैं. खासकर छोटे बच्चों में खांसी, बुखार, जुकाम, निमोनिया सहित अन्य प्रकार के केस काफी ज्यादा देखने में आते हैं.वक्त रहते अगर इन बीमारियों के लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए तो स्थिति काफी ज्यादा गंभीर हो सकती है. इनमें निमोनिया सबसे अधिक बच्चों को नुकसान पहुंचाती है. देश में हर साल कई बच्चे इससे पीड़ित होते हैं. वहीं, समय पर इलाज न होने से कई बच्चों की इससे मौत भी हो जाती है. ऐसे में जरूरी है कि निमोनिया के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर तत्काल बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए.समय से इलाज है जरूरीमिर्जापुर मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर देवराज यादव ने बताया कि ठंड शुरू होते ही ओपीडी में निमोनिया से पीड़ित बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं. समय से इलाज न मिलने पर यह बीमारी जानलेवा हो सकती है. ऐसे में जरूरी है की माता -पिता समय रहते बच्चों का विशेष ध्यान रखें और निमोनिया के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर डॉक्टर से सलाह लें. डॉक्टर देवराज ने कहा कि नवजात शिशु से लेकर 14 साल तक के बच्चों के शरीर के तापमान में अगर थोड़ी सी भी गिरावट देखने को मिले तो तुरंत बालरोग विशेषज्ञ से सलाह लें.क्यों खतरनाक है निमोनिया?डॉक्टर देवराज यादव ने बताया कि निमोनिया के खतरनाक होने का एक कारण यह भी है कि यह बीमारी वायरस, बैक्टीरिया और फंगी तीनों के कारण हो सकती है. इसलिए यह छोटे बच्चों में काफी जानलेवा साबित हो सकती है. सीडीसी के मुताबिक, ओमिक्रॉन का वायरस इंफ्लूएंजा और आरएसवी वायरस भी निमोनिया होने का कारण बन सकते हैं.निमोनिया के कारण जन्म के समय निमोनिया का टीका न लगाना. बैक्टीरिया या फिर वायरस के संक्रमण अगर बच्चे के जन्म से दिल में किसी प्रकार का विकार है तो इससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है.निमोनिया के लक्षण बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने के साथ ही काफी तीव्र गति से सांस चलना.भूख में कमी आना, इस दौरान बच्चा दूध नहीं पीता है या दूध पीने में उस परेशानी होती है.बच्चे की पसलियों या सीने में दर्द होना. बच्चों के आंख, कान और गले में भी दर्द होना.अत्यधिक थकान और तेज ठंड के साथ बुखार आना.कई बार जी मिचलाता है और उल्टियां भी हो सकती हैं.लापरवाही बन सकती है निमोनिया का कारणवरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर देवराज यादव ने बताया कि कई बार माता-पिता के लापरवाही के वजह से बच्चों को निमोनिया की शिकायत हो जाती है. ऐसे में विशेष रूप से ध्यान रखें कि बच्चा रात में गीले कपड़े पर न सोए. इसके अलावा ठंड से बचाव के लिए बच्चों को गर्म कपड़े पहनना शुरू कर दें. हाथ-कान और पैर को ढक कर रखें, जिससे कि बच्चों को ठंड न लगे.