Report By : ICN Network
ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम धर्म का एक प्रमुख पर्व है जिसे दुनिया भर के मुसलमान बड़े ही श्रद्धा और उत्साह से मनाते हैं। यह त्यौहार पैगंबर इब्राहीम की अपने बेटे की कुर्बानी देने की तैयारी की याद में मनाया जाता है, जो अल्लाह के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का प्रतीक है।
कहा जाता है कि जब अल्लाह ने इब्राहीम की परीक्षा ली और उन्हें अपने सबसे प्रिय पुत्र की बलि देने का आदेश दिया, तब उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के यह आदेश स्वीकार कर लिया। लेकिन जैसे ही वे बलिदान देने को तैयार हुए, अल्लाह ने उनके बेटे को एक जानवर से बदल दिया। इसी घटना की याद में ईद-उल-अजहा पर जानवर की कुर्बानी दी जाती है।
इस दिन मुस्लिम समुदाय सुबह की विशेष नमाज़ पढ़ते हैं और फिर कुरबानी की रस्म निभाते हैं। आमतौर पर बकरी, भेड़ या गाय की कुर्बानी दी जाती है, और मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है — एक हिस्सा गरीबों में, एक रिश्तेदारों व दोस्तों में और एक अपने परिवार के लिए रखा जाता है।
इस पर्व के माध्यम से त्याग, समर्पण, करुणा और समानता जैसे मानवीय मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है। यह सिर्फ एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि समाज में भाईचारा और मदद की भावना को बढ़ावा देने वाला पर्व है।