यूपी के अति पिछड़े जिले में शामिल सोनभद्र के किसान भी रसायनिक खाद से दूरी बनाते हुए अब जैविक खेती की तरफ कदम रख रहे हैं। कम लागत में जैविक खेती से बड़ा मुनाफा होने के कारण इस बीच कई किसान जैविक खेती कर रहे हैं। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए यहां तमाम तरह की योजनाएं भी विभाग चला रहा है, जिसमें एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट लोगों को अनुदान भी मुहैया कराया जा रहा है। देखा जाए तो करीब चार दशक पूर्व किसान अपनी खेती बारी में गोबर के खाद का ही इस्तेमाल करते थे और खेतों की जुताई भी पहले बैलों से कराई जाती थी लेकिन परंपरा बदलने के साथ ही किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने लगे, जिसकी वजह से उनकी जमीन की उर्वरा शक्ति कमजोर हो गई।
अब किसान अपनी वही पुराने तरीके से खेती करने में जुटे है। जिसकी मिसाल बने हुए हैं सदर विकास खंड के मानपुर गांव निवासी बाबूलाल मौर्य इन्होंने अपनी खेती को ऑर्गेनिक तरीके से शुरू किए है। करीब 5 वर्षों से ऑर्गेनिक तरीके से खेती कर रहे हैं और रासायनिक खातों का प्रयोग करना बंद कर दिए हैं।
सोनभद्र के किसान भी अब जैविक खेती करने में जुट गए हैं इससे उनको काफी मुनाफा हो रहा है उसके साथ ही रासायनिक खाद का प्रयोग अपने खेतों में नहीं कर रहे हैं जिसकी वजह से उनके खेतों की उर्वरा शक्ति बरकरार है उसके साथ ही खेतों की पैदावार में भी वृद्धि हुई है। ताजा मामला है सदर विकास खंड के मानपुर गांव का जहां पर किसान बाबूलाल मौर्य द्वारा करीब 5 वर्षों से रासायनिक खादों का प्रयोग बंद कर दिया गया है इस दौरान बाबूलाल ने बताया कि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की भी यही सोच है कि हर किसान जैविक खेती करें और अपने खेत में रासायनिक खादों का प्रयोग बंद कर दे। ईससे उसके खेतों की उर्वरा शक्ति बरकरार रहेगी उसके साथ ही प्रयोग होने वाली रासायनिक से अनेक बीमारियों से भी लोगों को छुटकारा मिल जाएगा। रासायनिक खादों का प्रयोग जब से हमने बंद किया है तब से हमारे खेत की उर्वरा शक्ति बनी हुई है उसके साथ ही हमारे खेतों की पैदावार भी बढ़ गई है। अब हम अपने खेतों में रासायनिक खातों का नहीं प्रयोग करते हैं। घर पर हम स्वयं जैविक खाद बनाते हैं और उसका इस्तेमाल अपने खेतों में करते हैं, ईसके साथ ही हम खाद को बेचते भी हैं जिससे हमें अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है।