Report By : ICN Network
ग्रेटर नोएडा की रियल एस्टेट दुनिया में एक बेहद दर्दनाक सच्चाई सामने आई है, जहाँ हजारों परिवार अपने घर की रजिस्ट्री के इंतजार में वर्षों से परेशान हैं। यूपीसिडा (UPSIDA) के तहत आने वाली दस ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं पिछले आठ वर्षों से रजिस्ट्री की प्रक्रिया में फंसी हुई हैं। इन परियोजनाओं पर कुल ₹400 करोड़ से भी अधिक का बकाया है। इसके चलते करीब 8,000 परिवार अपने सपनों का घर पाकर भी उसका मालिकाना हक नहीं पा सके हैं।
इन परियोजनाओं की रजिस्ट्री सिर्फ बकाया भुगतान के कारण ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक ढुलमुल रवैये, अधूरे निर्माण, और FAR (Floor Area Ratio) जैसे तकनीकी विवादों के कारण भी लटकी हुई है। वर्ष 2013 में UPSIDA द्वारा FAR को 2.75 से बढ़ाकर 3.5 किया गया था, ताकि बिल्डरों को अतिरिक्त निर्माण की सुविधा दी जा सके। लेकिन बाद में UPSIDA के ही अधिकारियों ने इस बदलाव पर आपत्ति जताई, जिससे मंजूरी की प्रक्रिया बाधित हुई और रजिस्ट्री रुक गई।
कई परियोजनाओं में फ्लैट बनकर तैयार हैं, लोग वहां वर्षों से रह भी रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है। कई बिल्डर आंशिक भुगतान कर कुछ गतिविधियां शुरू कर चुके हैं, लेकिन ज़्यादातर अब भी NCLT या सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं में कानूनी उलझनों का हिस्सा बने हुए हैं। कुछ परियोजनाओं में तो टावर अब तक अधूरे हैं, और लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर, मिगसन ग्रीन मेंशन में 550 फ्लैटों की रजिस्ट्री हाल ही में शुरू हुई है, जो UPSIDA के अंतर्गत पहली बार हुआ है। वहीं, अन्य परियोजनाएं जैसे डिज़ाइनआर्क ई-होम्स, ला गैलेक्सिया, वेनेटिया हाइट्स और पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्टे अब भी भारी बकाये और अधूरे काम के कारण रुकी हुई हैं।
कुछ बिल्डरों ने बकाया भुगतान की शुरुआत कर दी है, लेकिन UPSIDA ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना पूर्ण बकाया चुकाए और सभी दस्तावेज़ों की ऑनलाइन सबमिशन के बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट और रजिस्ट्री संभव नहीं है। हालांकि, हाल ही में FAR की मंजूरी मिलने से कुछ उम्मीद जगी है, लेकिन वह सभी परियोजनाओं पर लागू नहीं हो रही।
आज की स्थिति यह है कि हजारों मध्यमवर्गीय परिवार, जिन्होंने अपनी जिंदगी की कमाई इन घरों में लगा दी, वे न तो अपने घरों के मालिक बन सके हैं और न ही उन्हें बेच सकते हैं या ट्रांसफर कर सकते हैं। प्रशासन, प्राधिकरण और बिल्डरों के बीच की यह खींचतान आम जनता के जीवन को प्रभावित कर रही है।
यह समस्या सिर्फ रियल एस्टेट की नहीं, बल्कि एक सामाजिक संकट बन चुकी है। अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह अव्यवस्था और भी गहराएगी, और हजारों लोगों का सपना हमेशा के लिए टूट सकता है।