Report By : ICN Network
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने और भूजल स्तर को बचाने के लिए एक नया नियम लागू किया है। इसके तहत अब शहर में हो रहे सभी निर्माण कार्यों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) से प्राप्त उपचारित जल का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है।
इस योजना के अंतर्गत, सभी नए निर्माण प्रोजेक्ट्स के ठेकेदारों को एसटीपी से प्राप्त जल की रसीद संबंधित विभाग को जमा करनी होगी। यदि कोई ठेकेदार इस नियम का पालन नहीं करता है, तो उसकी भुगतान प्रक्रिया रोक दी जाएगी और भविष्य में उसे ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है।
ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में कुल चार एसटीपी बनाए गए हैं, जिनमें से सबसे बड़ा कासना क्षेत्र में स्थित है। इन प्लांट्स द्वारा तैयार किया गया उपचारित जल निर्माण कार्यों, बागवानी और अन्य गैर-पीने योग्य कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा।
यह कदम खासतौर पर जल संकट को देखते हुए उठाया गया है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भूजल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। अथॉरिटी का मकसद जल संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करना और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना है।
इस नीति के लागू होने से निर्माण कंपनियों को जल संरक्षण के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाया जाएगा, जिससे ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में जल संकट की समस्या में कमी आने की उम्मीद है।