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झांसी में सिपाही के बेटे ने वेब सीरीज देख आइडिया लेकर शुरू किया नकली नोट छापने का काम,बिजनेस में घाटा होने के बाद बनाई योजना

Report By : Rishabh Singh, ICN Network

उत्तर प्रदेश के झांसी में बिजनेस में घाटा होने पर सिपाही का बेटा पंकज मल्होत्रा नकली नोट छाप रहा था। वह इन नोटों को एजेंटों के माध्यम से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मार्केट में खपाता था। नकली नोट छापने का आइडिया उसे शाहिद कपूर की “फर्जी” वेब सीरीज देखकर आया था। इसके बाद पंकज ने नोट छापने के लिए यूट्यूब पर कई वीडियो देखे और सामान जुटाया।

फिर भी वह असली जैसा नोट नहीं छाप पा रहा था। तब उसने जितेंद्र नाम के युवक से ट्रेनिंग ली। इसके बाद उसने लाखों रुपए के जाली नोट बाजार में खफा दिए। उसके सबसे बड़े खरीदार जुआरी हुआ करते थे।

गैंग का मास्टरमाइंड 27 साल का पंकज मल्होत्रा मध्य प्रदेश के भिंड जिले के लहार कस्बे का रहने वाला है। वह काफी शातिर है। नौकरी नहीं लगी तो परिजनों ने पंकज को बिल्डिंग मटेरियल का बिजनेस शुरू कराया। लेकिन, उसका मन कारोबार करने में कभी नहीं लगता था। वह जल्द ही अमीर बन जाने का सपना देखा करता था।

इस बीच उसे बिजनेस में बड़ा घाटा लग गया। इससे वह परेशान रहने लगा। एक दिन वह फर्जी वेब सीरीज देख रहा था। यहीं से उसे फर्जी नोट छापने का आइडिया आया। इसके बाद उसने यूट्यूब पर जाली नोट छापने के वीडियो देखे और गूगल से जानकारी जुटाई। फिर दिल्ली जाकर सामान खरीद लाया। उसकी प्लानिंग थी कि एक साल में भरपूर पैसा कमाने के बाद वह काम छोड़ देगा।

सामान खरीदने के बाद उसने कई बार नोट छापने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। तब उसने मध्य प्रदेश के दतिया जिले के भांडेर निवासी कमलाकांत शिवहरे को गैंग में शामिल किया। फिर भी वे कामयाब नहीं हुए। तब उनके दोस्त जितेंद्र ने उनको असली जैसा नोट बनाने की ट्रेनिंग दी।

इसके बाद वे हूबहू असली जैसा नोट छापने लगे। पहली बार आरोपियों ने एजेंटों को असली नोटों के साथ नकली नोट देकर बाजार में भेजा। वहां नोट चल गए तो वे खुश हो गए और नकली नोट छापने के मिशन में जुट गए। नोट जैसा कागज पंकज दिल्ली से मांगता था। इसके बाद नोट के आकार में उसकी कटिंग करता था। इसमें कमलाकांत उसकी मदद करता था।

नोट की डिजाइन तैयार करने के बाद आधुनिक प्रिंटर से यह नोट छापते थे। इसके बाद वह हूबहू 500 के नकली नोट तैयार करने लगा। जितनी डिमांड आती थी, उसके मुताबिक, नोट छापते थे। नोट छापने के लिए उन्होंने दतिया और भिंड में किराए का घर भी ले रखा था। नकली नोट की डिजाइन हल्की होने के साथ ही कागज भी कुछ पतला रहता था। पकड़े न जाए, इसलिए यह लोग नकली नोट ग्रामीण इलाकों में खपाते थे।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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