Report By : Shariq Khan (kanpur)
कानपुर जेल में बंद पढ़े-लिखे बंदी तस्वीर बदल रहे हैं। बीएड-एमएड और पीएचडी कर चुके बंदी जेल के अंदर ही क्लास चला रहे हैं। अधिवक्ता साथी बंदियों की पैरवी के लिए कानूनी सलाहकार (काउंसलर) की भूमिका में हैं। जबकि मैनेजमेंट की बीबीए, एमबीए और एमसीए डिग्रीधारक अपराधी जेल में आने वाले बंदियों का हिस्ट्री तैयार कर रहे हैं। कह सकते हैं कि कानपुर की इस जेल में बंद 499 पढ़े-लिखे बंदी अपने हुनर और शिक्षा के बल पर तस्वीर ही बदल रहे हैं।
जेल अधीक्षक बीडी पांडेय ने बताया, “कानपुर जेल में करीब 2355 बंदी हैं। इसमें से 450 पुरुष और 49 महिलाएं पढ़ी-लिखी हैं। इसमें हाईस्कूल, बीए, एमए से लेकर बीएड-एमएड, पीएचडी, बीटेक, एमसीए, बीसीए, बी. फार्मा और सिविल इंजीनियरिंग समेत अन्य उच्च शिक्षा वाले बंदी जेल में बंद हैं। इन सभी को चिह्नित करने के बाद उनकी रुचि के आधार पर अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है। बीए, एमए, बीएड और एमएड वाले जेल में अनपढ़ और कम पढ़े लिखे लोगों को साक्षर करने में लगे हैं। यहां पर प्राइमरी से लेकर इंटर तक की क्लास चलाई जाती है। इन क्लासों में पढ़ने वाले अनपढ़ बंदी अब अखबार पढ़ना सीख गए हैं और अपने हस्ताक्षर भी करते हैं. लॉ ग्रेजुएट बंदी बने काउंसलर जेल में लॉ ग्रेजुएट भी बंद हैं। वह काउंसलर की भमिका में आ चके हैं। कानन की समझ नहीं रखने वाले और वकील की फीस चुकाने में असमर्थ बंदियों की मदद कर रहे हैं।
जेल में बंद वकील ही उनका प्रार्थना-पत्र लिखते हैं। इसके साथ ही उन्हें कानूनी सुझाव देते हैं। जिससे वह जल्द से जल्द अपनी जमानत कराकर जेल से बाहर निकल सके. जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल के भीतर बी-फार्मा और डी. फार्मा डिग्री वाले बंदी भी हैं। इस तरह के बंदियों को जेल अस्पताल में उनकी स्वेच्छा से लगाया गया है। इस तरह के बंदियों को दवाओं की अच्छी समझ होने के चलते बीमार बंदियों को अच्छी दवा देने में सहयोग करते हैं।
बीबीए, बीसीए और एमबीए वालों को भी जिम्मेदारी जेल अधीक्षक ने बताया कि मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले बंदियों को पत्र छांटने और आने वाले नए अपराधियों का लेखा-जोखा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। जेल में मुलाकात के लिए जो लोग पत्र लिखते हैं या अपनी अर्जी लगाते हैं। जेल में मौजूद बंदी की अनुमति मिलने के बाद उसे मिलने के लिए बुलाया जाता है। इसके साथ ही जेल में आने वाले हर एक बंदी का वजन-लंबाई, नाम, पता से लेकर पूरे परिवार का सिजरा दर्ज किया जाता है। जेल से चला रहे अपने घर का खर्च जेल के अंदर बंदियों को रोजगार से जोड़ने के लिए मोजा यूनिट भी लगा दी गई है। मोजा यूनिट में काम करने वाले बंदी यहां से परफेक्ट होकर निकलेंगे। अगर रुपए होगा तो खुद अपनी मोजा यूनिट लगा सकते हैं, नहीं तो उन्हें किसी भी मोजा यूनिट में आसानी से नौकरी मिल जाएगी। इसके साथ ही सिलाई, मोमबत्ती समेत अन्य काम करके बंदी अपनी कमाई भी कर रहे हैं। जेल से ही अपना घर का खर्च चला रहे हैं।