पीएम मोदी ने कहा, “रामायण में भगवान राम की कहानी माता शबरी और निषादराज जैसे पात्रों के बिना अधूरी है। उनकी भक्ति और समर्पण ने ही रामायण को पूर्णता दी। इसलिए, जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ, तो इसके साथ महर्षि वाल्मीकि और निषादराज के मंदिर भी बनाए गए। मेरा आपसे अनुरोध है कि जब आप अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए जाएं, तो इन पावन स्थलों के दर्शन जरूर करें।” यह अपील न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक यात्रा की ओर प्रेरित करती है, बल्कि सामाजिक समरसता और एकता का संदेश भी देती है। सीएम योगी का आभार: अयोध्या बनेगी आध्यात्मिक और राष्ट्रीय चेतना का केंद्र
प्रधानमंत्री की इस अपील पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा आभार व्यक्त किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में श्री अयोध्या धाम को श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक तीर्थ के रूप में रेखांकित किया। उनका यह आह्वान कि रामलला के दर्शन के साथ महर्षि वाल्मीकि और निषादराज मंदिरों के दर्शन किए जाएं, हर श्रद्धालु के लिए प्रेरणादायी है।” सीएम योगी ने आगे कहा, “महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के माध्यम से प्रभु श्रीराम के जीवन को अमर कर दिया, जिससे मानवता को धर्म, सत्य और आदर्श जीवन का पवित्र मार्ग मिला। वहीं, निषादराज ने अपनी निस्वार्थ Industrials, निःस्वार्थ मैत्री और सेवा भाव से समाज को एक अनूठी प्रेरणा दी।” उन्होंने जोर देकर कहा कि अयोध्या के इन पवित्र स्थलों का दर्शन श्रद्धालुओं को न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करेगा, बल्कि सामाजिक एकता और राष्ट्रीय चेतना को भी मजबूत करेगा। अयोध्या: आध्यात्मिकता और एकता का संगम
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का यह संदेश अयोध्या को एक ऐसे तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करता है, जो न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक भी है। यह अपील श्रद्धालुओं को राम मंदिर के साथ-साथ महर्षि वाल्मीकि और निषादराज मंदिरों के दर्शन के लिए प्रेरित कर रही है, ताकि वे रामायण के मूल्यों को आत्मसात कर सकें और सामाजिक समरसता को बढ़ावा दे सकें।