वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 की समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी का गठन किया गया है. जेपीसी समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को बनाया गया है. जगदंबिका पाल की अध्यक्षयता में गठित जेपीसी समिति ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी है जगदंबिका पाल इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में हैं, और यह कोई पहली बार नहीं है जब उनका नाम चर्चा में आया हो। उनके नाम कई अनोखे रिकॉर्ड हैं। आइए जानते हैं, आखिर कौन हैं जगदंबिका पाल। उनका जन्म 21 अक्टूबर 1950 को उत्तर प्रदेश के भरवलिया में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा एमए और एलएलबी तक की है, और इसके बाद राजनीति में कदम रखा। वह डुमरियागंज से तीन बार सांसद चुने गए हैं और यूपी सरकार में कई बार कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं जगदंबिका पाल के बारे में एक खास बात यह भी है कि उनके नाम 31 घंटे तक यूपी के मुख्यमंत्री रहने का भी रिकॉर्ड है। यह घटना साल 1998 में घटी थी जब उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। हालांकि, यह समय सिर्फ 31 घंटे का था, और उनका नाम उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता के तौर पर दर्ज हो गया जगदंबिका पाल ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर एनडी तिवारी की अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) में शामिल होने का फैसला लिया। बाद में, 1997 में, उन्होंने नरेश अग्रवाल, राजीव शुक्ला, श्याम सुंदर शर्मा और बच्चा पाठक के साथ मिलकर अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया और फिर वह कल्याण सिंह सरकार में परिवहन मंत्री बने 1998 में मायावती ने बीजेपी से अपना समर्थन वापस ले लिया और इसके बाद जगदंबिका पाल को विधायक दल का नेता चुना गया। वह राज्यपाल के पास बहुमत का दावा लेकर पहुंचे, और तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। लेकिन अगले ही दिन हाईकोर्ट ने कल्याण सिंह सरकार को बहाल करने का आदेश दिया। इसके परिणामस्वरूप, जगदंबिका पाल को महज 31 घंटे के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा इसके बाद, उन्होंने 2014 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन की और लगातार तीन लोकसभा चुनावों (2014, 2019, 2024) में चुनाव जीते। इस तरह, जगदंबिका पाल न केवल एक रिकॉर्ड धारक नेता हैं, बल्कि उन्होंने राजनीति में कई बदलावों और घटनाओं का हिस्सा बनकर अपने नाम को इतिहास में दर्ज भी कराया है
जगदंबिका पाल, 31 घंटे के मुख्यमंत्री, BJP सांसद, वक्फ बोर्ड रिपोर्ट पर भूचाल, वकालत छोड़ राजनीति में आए

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 की समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी का गठन किया गया है. जेपीसी समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को बनाया गया है. जगदंबिका पाल की अध्यक्षयता में गठित जेपीसी समिति ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी है जगदंबिका पाल इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में हैं, और यह कोई पहली बार नहीं है जब उनका नाम चर्चा में आया हो। उनके नाम कई अनोखे रिकॉर्ड हैं। आइए जानते हैं, आखिर कौन हैं जगदंबिका पाल। उनका जन्म 21 अक्टूबर 1950 को उत्तर प्रदेश के भरवलिया में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा एमए और एलएलबी तक की है, और इसके बाद राजनीति में कदम रखा। वह डुमरियागंज से तीन बार सांसद चुने गए हैं और यूपी सरकार में कई बार कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं जगदंबिका पाल के बारे में एक खास बात यह भी है कि उनके नाम 31 घंटे तक यूपी के मुख्यमंत्री रहने का भी रिकॉर्ड है। यह घटना साल 1998 में घटी थी जब उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। हालांकि, यह समय सिर्फ 31 घंटे का था, और उनका नाम उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता के तौर पर दर्ज हो गया जगदंबिका पाल ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर एनडी तिवारी की अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) में शामिल होने का फैसला लिया। बाद में, 1997 में, उन्होंने नरेश अग्रवाल, राजीव शुक्ला, श्याम सुंदर शर्मा और बच्चा पाठक के साथ मिलकर अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया और फिर वह कल्याण सिंह सरकार में परिवहन मंत्री बने 1998 में मायावती ने बीजेपी से अपना समर्थन वापस ले लिया और इसके बाद जगदंबिका पाल को विधायक दल का नेता चुना गया। वह राज्यपाल के पास बहुमत का दावा लेकर पहुंचे, और तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। लेकिन अगले ही दिन हाईकोर्ट ने कल्याण सिंह सरकार को बहाल करने का आदेश दिया। इसके परिणामस्वरूप, जगदंबिका पाल को महज 31 घंटे के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा इसके बाद, उन्होंने 2014 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन की और लगातार तीन लोकसभा चुनावों (2014, 2019, 2024) में चुनाव जीते। इस तरह, जगदंबिका पाल न केवल एक रिकॉर्ड धारक नेता हैं, बल्कि उन्होंने राजनीति में कई बदलावों और घटनाओं का हिस्सा बनकर अपने नाम को इतिहास में दर्ज भी कराया है