Report By : ICN Network
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) की अधूरी परियोजनाओं को लेकर एक अहम आदेश दिया है, जिससे जेपी के फ्लैट खरीदारों की परेशानी बढ़ गई है। कोर्ट ने यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) को अधूरी परियोजनाओं के लिए निविदा प्रक्रिया (RFP) शुरू करने की अनुमति दी है, लेकिन नए डेवलपर के चयन से पहले कोर्ट की मंजूरी जरूरी कर दी है। इस कारण अब निर्माण कार्य में और देरी होने की संभावना है, जिससे लगभग 7,000 फ्लैट खरीदारों को लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
YEIDA ने परियोजना की वर्तमान स्थिति का आकलन करने के लिए एक एजेंसी नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस सर्वेक्षण के तहत टावरों की संख्या, अधूरी संरचनाओं की स्थिति, और अन्य बुनियादी ढांचे की पूरी जानकारी एकत्रित की जाएगी। सर्वेक्षण की रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई और निर्माण कार्य की गति तय होगी।
इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को लेकर एक समिति भी गठित की है। इस समिति में प्रमुख सचिव, आवास एवं औद्योगिक विकास विभाग, यूपी रेरा के अध्यक्ष, YEIDA के सीईओ और खरीदारों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह समिति परियोजना के पुनरुद्धार के लिए आवश्यक कदम उठाएगी और बकाया राशि की वसूली सुनिश्चित करेगी ताकि अधूरे निर्माण को पूरा किया जा सके।
इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई में निर्धारित है, जब कोर्ट मामले की प्रगति पर विचार करेगा। तब तक फ्लैट खरीदारों को परियोजना के पूरा होने के लिए और अधिक इंतजार करना होगा। खरीदारों की चिंताएं बढ़ रही हैं क्योंकि लंबे समय से अधूरी पड़ी परियोजनाओं के कारण उनकी आर्थिक स्थिति और रहने की योजना प्रभावित हो रही है।
इस पूरे प्रकरण से स्पष्ट होता है कि जेपी एसोसिएट्स की अधूरी परियोजनाओं के कारण प्रभावित खरीदारों को जल्द राहत मिलने में अभी वक्त लग सकता है। सरकारी और न्यायिक कदम जारी हैं, लेकिन प्रक्रिया लंबी और जटिल होने की वजह से देरी होना स्वाभाविक है।