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ग्रेटर नोएडा: एक किमी की दायरे उड़ रहे ड्रोन को ध्वस्त कर देगा कवच जैमर

ग्रेटर नोएडा। दुश्मन देशों के ड्रोन अब रत्ती भर भी नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे। यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में मेरठ के दो बीटेक के छात्रों ने खास प्रकार का एंटी ड्रोन सिस्टम ”कवच” पेश किया है,जो दुश्मन देश के ड्रोन को भारत की सीमा पर ही गिरा देगा। इस एंट्री ड्रोन सिस्टम को कही भी ले जाया जा सकता है। छात्रों ने बताया कि अभी इसकी रेंज लगभग एक तरफ 600 मीटर यानी एक पूरे क्षेत्र में 1200 मीटर है। फिलहाल रेंज को दो से ढाई किमी तक बढ़ाने की तैयारी है। जमीन से लगभग 1500 फुट ऊपर उड़ रहा ड्रोन इस जैमर से नहीं बचेगा। जैमर उसके सिग्नल को रोक कर नीचे ले आएगा।

एमआईईटी के छात्र मनोहर कुशवाहा और दीक्षांत कुमार ने बताया कि एक हैकाथॉन प्रतियोगिता में उन्होंने ड्रोन के लिए जैमर बनाने के लिए प्रोजेक्ट बनाया था। तब उनका आइडिया काफी पसंद किया गया था। जिसके बाद उन्होंने मेहनत की और ”कवच” के रूप में एंटी ड्रोन सिस्टम तैयार किया। उन्होंने बताया कि एंटी ड्रोन जैमर के दायरे में आते ही कोई भी ड्रोन सिग्नल खो देगा। दीक्षांत ने बताया कि उनके पहले पोर्टेबल जैमर (एंटी ड्रोन सिस्टम) को सेना ने पसंद किया है। यह प्रणाली हवाई ड्रोन हमलों से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई है। एंटी ड्रोन सिस्टम लगभग एक किमी व्यास का एक वर्चुअल डोम (गोल क्षेत्र) तैयार करता है, जिसके भीतर कोई भी ड्रोन प्रवेश करता है तो वह जैम (ब्लॉक) हो जाता है।

जैमर की पहली यूनिट सेना को की समर्पित
मनोहर कुशवाहा ने बताया कि महाराष्ट्र के आर्म्ड रेजिमेंट 90 के कैप्टन ने अवैध ड्रोन को रोकने के लिए तकनीकी पर काम करने के लिए कहा था। जिसके बाद दोनों ने काफी मेहनत की। मेहनत रंग लाई और जैमर की पहली यूनिट जनवरी 2025 में सफलतापूर्वक सेना को हैंडओवर किया। इसके बाद दूसरी यूनिट पंजाब के पटियाला रेजिमेंट 77 को भी दी गई है।

ड्रोन 2.4 जीएचजेड फ्रीक्वेंसी का बनाया

मनोहर के पिता मनोज कुमार सेना की इंजीनियरिंग कोर में हैं। जबकि दीक्षांत के पिता विक्रम सिंह किसान हैं। दीक्षांत ने बताया कि उन्हें एंटी ड्रोन बनाने का आइडिया सीईओ आफ एमआइईटी इंक्यूवेशन फोरम रिहान अहमद से मिला। जिसके बाद उन्होंने इस सिस्टम को बनाना शुरू किया। दीक्षांत और मनोहर ने कवच नाम से जैमर बनाया है। यह ड्रोन 2.4 जीएचजेड फ्रीक्वेंसी का बनाया गया है।

By Ankshree

Ankit Srivastav (Editor in Chief )

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