प्रयागराज में महाकुंभ जारी है. ऐसे में देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचे हैं. उनका कहना है कि लंबा सफर तय करने के बाद वे यहां आए हैं और खुश हैं प्रयागराज महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है। गुरुवार, 30 जनवरी 2025 को, भारत के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ कई अन्य देशों से भी हजारों लोग संगम में स्नान करने पहुंचे। उन्होंने इस पावन अवसर का हिस्सा बनने को सौभाग्य की बात बताते हुए अपनी खुशी जाहिर की। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, कजाकिस्तान से आईं एलेना ने कहा कि महाकुंभ में आना उनका सपना था, जो अब पूरा हुआ है। उन्होंने भारत के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह स्वयं को धन्य मानती हैं कि उन्हें यह अवसर मिला। साथ ही, उन्होंने भगवान शिव का धन्यवाद किया, जिनकी कृपा से वह प्रयागराज आ सकीं। रूस के मॉस्को से आईं येलेना अपने दोस्तों के साथ महाकुंभ का हिस्सा बनने पहुंचीं। उन्होंने बताया कि प्रयागराज की सुंदरता और यहां की आध्यात्मिकता ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है। उनके अनुसार, यह मेला एक अनूठा अनुभव है, जो उन्हें जीवन भर याद रहेगा। एक अन्य विदेशी पर्यटक ने भी प्रयागराज और महाकुंभ के आयोजन की भव्यता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस पवित्र स्थल पर आकर उन्हें एक विशेष अनुभूति हो रही है। भारत और भारतीय संस्कृति की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह देश अपने त्योहारों और लोगों की मेहमाननवाजी के लिए दुनिया में सबसे अच्छा है। मॉस्को से ही आईं वेलेरिया भी अपने ग्रुप के साथ महाकुंभ में शामिल हुईं। उन्होंने इस भव्य आयोजन को “शानदार” बताते हुए कहा कि उन्होंने इस यात्रा के लिए लंबा सफर तय किया है, लेकिन प्रयागराज आकर वे अत्यंत खुश हैं। वेलेरिया और उनके साथी दो दिन तक यहां रुककर इस दिव्य उत्सव का आनंद लेने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा, जर्मनी से आई एक पर्यटक ने भी महाकुंभ की भव्यता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन वास्तव में बहुत सुंदर और अद्भुत है। एक अन्य विदेशी श्रद्धालु ने भगवान शिव की आराधना करते हुए कहा कि उन्होंने इस पवित्र स्थल तक पहुंचने के लिए लंबी यात्रा तय की है और यहां आकर आत्मिक शांति का अनुभव कर रहे हैं। विदेशी पर्यटकों की इन भावनाओं से स्पष्ट होता है कि महाकुंभ केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव बन चुका है, जहां हर कोई आकर खुद को धन्य महसूस करता है
महाकुंभ में कजाकिस्तान की एलिना का सपना पूरा, रशियन ने संगम स्नान कर कहा- ‘इंडिया बेस्ट’

प्रयागराज में महाकुंभ जारी है. ऐसे में देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचे हैं. उनका कहना है कि लंबा सफर तय करने के बाद वे यहां आए हैं और खुश हैं प्रयागराज महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ रही है। गुरुवार, 30 जनवरी 2025 को, भारत के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ कई अन्य देशों से भी हजारों लोग संगम में स्नान करने पहुंचे। उन्होंने इस पावन अवसर का हिस्सा बनने को सौभाग्य की बात बताते हुए अपनी खुशी जाहिर की। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, कजाकिस्तान से आईं एलेना ने कहा कि महाकुंभ में आना उनका सपना था, जो अब पूरा हुआ है। उन्होंने भारत के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह स्वयं को धन्य मानती हैं कि उन्हें यह अवसर मिला। साथ ही, उन्होंने भगवान शिव का धन्यवाद किया, जिनकी कृपा से वह प्रयागराज आ सकीं। रूस के मॉस्को से आईं येलेना अपने दोस्तों के साथ महाकुंभ का हिस्सा बनने पहुंचीं। उन्होंने बताया कि प्रयागराज की सुंदरता और यहां की आध्यात्मिकता ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है। उनके अनुसार, यह मेला एक अनूठा अनुभव है, जो उन्हें जीवन भर याद रहेगा। एक अन्य विदेशी पर्यटक ने भी प्रयागराज और महाकुंभ के आयोजन की भव्यता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस पवित्र स्थल पर आकर उन्हें एक विशेष अनुभूति हो रही है। भारत और भारतीय संस्कृति की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह देश अपने त्योहारों और लोगों की मेहमाननवाजी के लिए दुनिया में सबसे अच्छा है। मॉस्को से ही आईं वेलेरिया भी अपने ग्रुप के साथ महाकुंभ में शामिल हुईं। उन्होंने इस भव्य आयोजन को “शानदार” बताते हुए कहा कि उन्होंने इस यात्रा के लिए लंबा सफर तय किया है, लेकिन प्रयागराज आकर वे अत्यंत खुश हैं। वेलेरिया और उनके साथी दो दिन तक यहां रुककर इस दिव्य उत्सव का आनंद लेने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा, जर्मनी से आई एक पर्यटक ने भी महाकुंभ की भव्यता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन वास्तव में बहुत सुंदर और अद्भुत है। एक अन्य विदेशी श्रद्धालु ने भगवान शिव की आराधना करते हुए कहा कि उन्होंने इस पवित्र स्थल तक पहुंचने के लिए लंबी यात्रा तय की है और यहां आकर आत्मिक शांति का अनुभव कर रहे हैं। विदेशी पर्यटकों की इन भावनाओं से स्पष्ट होता है कि महाकुंभ केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव बन चुका है, जहां हर कोई आकर खुद को धन्य महसूस करता है