अखिलेश यादव का योगी सरकार पर तीखा प्रहार
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लाल पगड़ी में सजे-धजे, अपने चिर-परिचित अंदाज में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। शुक्रवार (12 सितंबर, 2025) को लखनऊ में सपा मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने नेपाल के हालिया हिंसक जनांदोलनों का जिक्र करते हुए चेतावनी दी कि अगर भारत में ‘वोट की डकैती’ जारी रही, तो पड़ोसी देश की तरह यहां भी जनता सड़कों पर उतर सकती है। अखिलेश ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि उसे ‘भाजपा का जुगाड़ आयोग’ बनने से बचना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि लोकतंत्र की रीढ़, यानी वोट, की चोरी कहीं न हो।
‘चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करे, जुगाड़ नहीं’
अखिलेश ने तल्ख लहजे में कहा, “चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना चाहिए, न कि भाजपा के लिए जुगाड़बाजी का अड्डा बनना चाहिए। अगर वोट की चोरी हुई, तो नेपाल में जनता ने जो किया, वह भारत में भी हो सकता है। जनता सड़कों पर उतरकर अपना गुस्सा जाहिर करेगी।” उन्होंने नेपाल के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि वहां की अशांति और जनांदोलन के पीछे कई कारण हैं, जैसे गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई। “सोशल मीडिया के युग में कोई सीमा नहीं है। नेपाल की घटनाओं से हमें सबक लेना होगा। वहां की जनता ने अपनी आवाज बुलंद की, और अगर यहां भी जनता का विश्वास टूटा, तो हालात वैसे ही हो सकते हैं।”
‘विदेश नीति में नाकाम रही केंद्र सरकार’
नेपाल के संदर्भ में अखिलेश ने केंद्र सरकार की विदेश नीति को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, “हमारी पहली प्राथमिकता अपने पड़ोसी देशों और सीमाओं पर शांति होनी चाहिए, लेकिन भारत सरकार की विदेश नीति पूरी तरह विफल रही है। नेपाल की आंतरिक राजनीति में जो कुछ हुआ, उसकी कहानियां सोशल मीडिया पर तैर रही हैं। लेकिन हम सिर्फ एक पहलू को देखकर कोई निष्कर्ष नहीं निकाल सकते।” उन्होंने जोर देकर कहा कि नेपाल में उठी जनता की आवाज के पीछे कई जटिल मुद्दे हैं, जिनमें आर्थिक तंगी और बेरोजगारी जैसे सवाल शामिल हैं।
‘यूपी में भ्रष्टाचार, अपहरण और डिजिटल अरेस्ट का बोलबाला’
अखिलेश ने योगी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए उत्तर प्रदेश को भ्रष्टाचार और अपराध का गढ़ करार दिया। उन्होंने कहा, “यूपी में भ्रष्टाचार, अपहरण और डिजिटल अरेस्ट के मामले में देश में नंबर वन है। सीएम आवास के बाहर लोग जहर खाकर जान दे रहे हैं। पंचायती राज में 60 फीसदी कमीशनखोरी चल रही है। भाजपा के नेता खोखले हैं, उनके पास कोई काम नहीं, सिर्फ बयानबाजी है।” उन्होंने योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह सिर्फ नारों तक सीमित है, जबकि धरातल पर हालात बद से बदतर हैं।
‘सिख समाज की बहादुरी का गौरव’
प्रेस वार्ता में अखिलेश ने सिख समुदाय की तारीफ में कसीदे पढ़े। उन्होंने कहा, “सिख समाज की वीरता और मेहनत की कहानियां सदियों पुरानी हैं। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने न केवल देश में, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है।” यह बयान सिख समुदाय के प्रति उनके सम्मान और उनकी सामाजिक-आर्थिक योगदान को रेखांकित करता है।
‘जनता की ताकत को कम न समझें’
अखिलेश यादव का यह बयान न केवल योगी सरकार और केंद्र की नीतियों पर एक करारा प्रहार है, बल्कि जनता की ताकत को भी उजागर करता है। नेपाल के जनांदोलन का हवाला देकर उन्होंने साफ संदेश दिया कि अगर लोकतंत्र और जनता के अधिकारों का हनन हुआ, तो जनता चुप नहीं बैठेगी। उनकी यह चेतावनी उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति में एक नए सियासी तूफान का संकेत दे रही है, जहां समाजवादी पार्टी जनता की आवाज बनकर उभरने की कोशिश में है।