Report By : ICN Network
महाराष्ट्र में लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनावों के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि महायुति, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP), शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और राकांपा (अजीत पवार गुट) शामिल हैं, आगामी चुनावों में एकजुट होकर हिस्सा लेंगी। हालांकि, स्थानीय स्तर पर कुछ नेताओं ने गठबंधन से अलग होकर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। उनका मानना है कि इससे उन्हें अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा।
वहीं, विपक्षी महाविकास आघाड़ी (MVA), जिसमें शिवसेना (UBT), कांग्रेस और राकांपा (Sharad Pawar गुट) शामिल हैं, ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे संयुक्त रूप से चुनाव लड़ेंगे या नहीं। हालांकि, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है और चुनावों के लिए तैयारियों की शुरुआत की है।
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना चार सप्ताह में जारी करे और चार महीने के भीतर चुनाव संपन्न कराए। इसके साथ ही, ओबीसी आरक्षण को 2022 में जयंत कुमार बंठिया आयोग की रिपोर्ट से पहले की स्थिति में बहाल करने का आदेश भी दिया है।
राज्य में कुल 687 शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं, जिनमें से कई निकायों में पिछले पांच वर्षों से निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं और वे प्रशासकों के अधीन हैं। इन चुनावों को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा माना जा रहा है, क्योंकि ये स्थानीय स्तर पर पार्टी की पकड़ और जनसंपर्क को दर्शाते हैं।
महायुति के लिए यह चुनाव अपनी विधानसभा चुनावों में मिली सफलता को स्थानीय निकायों में भी दोहराने का अवसर है, जबकि MVA के लिए यह अपनी स्थिति को पुनः स्थापित करने और आगामी चुनावों के लिए मजबूत आधार तैयार करने का मौका है।