उद्धव ठाकरेMaharashtra Politics: महाराष्ट्र में हाल की मूसलाधार बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है, जिससे फसलों का भारी नुकसान हुआ है। इस संकट के बीच विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है और प्रभावित किसानों के लिए तत्काल राहत की मांग की है। इसी कड़ी में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे 11 अक्टूबर को मराठवाड़ा में एक जोरदार विरोध मार्च का नेतृत्व करने जा रहे हैं, ताकि बारिश से तबाह हुए किसानों की आवाज को बुलंद किया जा सके।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने 26 सितंबर को मुंबई में इस मार्च की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी किसानों के दुख-दर्द में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और सरकार से तुरंत सहायता की मांग कर रही है।
उद्धव की मांग: आर्थिक सहायता और कर्जमाफी
संजय राउत ने बताया कि उद्धव ठाकरे ने बीजेपी नीत महाराष्ट्र सरकार से किसानों के लिए प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता और पूर्ण कर्जमाफी की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया कि यह राशि पीएम केयर्स फंड से दी जा सकती है। राउत ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आग्रह किया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर किसानों के लिए विशेष राहत पैकेज की व्यवस्था करें। इसके साथ ही, उन्होंने राज्य के उद्योगपतियों, बीसीसीआई और मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन से भी किसानों के समर्थन में आगे आने की अपील की।
शिवसेना (यूबीटी) का स्वतंत्र आंदोलन
राउत ने स्पष्ट किया कि यह विरोध मार्च शिवसेना (यूबीटी) का स्वतंत्र प्रयास है और इसे महा विकास आघाड़ी (एमवीए) से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। पार्टी ने पहले 11 अक्टूबर को एक शिविर आयोजित करने की योजना बनाई थी, लेकिन मौजूदा संकट को देखते हुए इसे रद्द कर दिया गया। उद्धव ठाकरे ने चेतावनी दी कि यदि सरकार द्वारा घोषित राहत किसानों तक नहीं पहुंची, तो वे दीपावली से पहले मराठवाड़ा लौटकर किसानों के बीच फिर से डटकर खड़े होंगे। उन्होंने जनता के फैसले के साथ अटल रहने का अपना संकल्प दोहराया।
बाढ़ ने मचाई तबाही: 30,000 हेक्टेयर फसलें बर्बाद, 9 की मौत
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे 25 सितंबर को मराठवाड़ा के बाढ़ग्रस्त जिलों का दौरा कर चुके हैं। 20 सितंबर से शुरू हुई भीषण बारिश और नदियों के उफान ने इस क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 9 लोगों की जान जा चुकी है और 30,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं।
यह विरोध मार्च न केवल किसानों की पीड़ा को उजागर करने का प्रयास है, बल्कि सरकार को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाने का एक सशक्त कदम भी है।