Report By : Himanshu Garg (UP Politics)
अपने जन्मदिन के दिन मायावती ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि BSP अपने दम पर अकेले 2024 लोकसभा चुनाव लड़ेगी। इसके बाद से ही समाजवादी पार्टी के नेताओं का जोश हाई है। अखिलेश यादव के नेता भले ही इस पर कुछ ना कहे लेकिन वो मन ही मन बहुत खुश हैं। वे नहीं चाहते थे कि गठबंधन में बीएसपी की एंट्री हो। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस वाले दो नावों पर सवारी होकर नैया चला रहा है। पार्टी के कई नेता चाहते है कि मायावती गठबंधन में शामिल हो जाए। यहीं नहीं मायावती के इनकार करने के बाद भी कुछ नेता आस लगाए बैठे है कि वो गठबंधन में शामिल जरुर होंगी। क्योंकि अगर बीएसपी अकेले चुनाव लड़ती है तो उससे यूपी में विपक्ष के वोटों का बंटवारा होना तय है।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी इन दिनों भारत न्याय यात्रा पर निकले हुए है। लेकिन उनकी टीम के लोग काम पर लगे हैं। बात अगर यूपी की सियासत की करें तो यहां लोकसभा की सबसे अधिक 80 सीटें हैं। लेकिन सीटों के तालमेल पर कोई काम नहीं हो पाया है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की मीटिंग 12 जनवरी को दिल्ली में तय थी। जो अचानक कैंसिल हो गई। वो भी बैठक से पांच घंटे पहले। इसको लेकर कांग्रेस की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि उनके नेता दूसरे काम में बिजी हैं। वहीं समाजवादी पार्टी के नेताओं ने बताया कि कांग्रेस ने होमवर्क ही नहीं किया था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि कांग्रेस जानबूझकर समाजवादी पार्टी से बातचीत नहीं करना चाहती। क्योंकि उन्हें मायावती के कैंप से गुड न्यूज की उम्मीद थी।
कांग्रेस की तरफ से समाजवादी पार्टी को किया गया फोन
बताते चले कि मायावती के मना करने के बाद ही कांग्रेस की तरफ से समाजवादी पार्टी को फोन कर कहा गया कि 17 जनवरी को हम मीटिंग करना चाहते हैं। दिल्ली में ये बैठक तय की गई है। ऐसी आशंका है कि इस मीटिंग सीटों के बंटवारे पर समाजवादी पार्टी अपना फार्मूला तय करेंगी। लेकिन सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं क्योंकि समाजवादी पार्टी कम से कम 60 सीटों पर लड़ना चाहती है। आरएलडी की डिमांड आठ सीटों की है। कांग्रेस 2009 का फार्मूला चाहती है। तब कांग्रेस के 23 नेता चुनाव जीते थे। इस आधार पर कांग्रेस 25 सीटें मांग रही है। अखिलेश यादव को अपने कोटे में कुछ सहयोगी दलों को भी एडजस्ट करना है।