Report By : ICN Network
मुंबई में जीटीबी नगर के पुनर्विकास को लेकर बड़ी पहल करते हुए म्हाडा के मुंबई बोर्ड ने आखिरकार रुस्मतजी ग्रुप की कंपनी कीस्टोन रियल्टर्स को इस महत्वपूर्ण परियोजना की जिम्मेदारी सौंप दी है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सायन, कोलीवाड़ा और जीटीबी नगर में सिंधी शरणार्थियों की 25 इमारतों के पुनर्विकास के लिए बोर्ड ने एक निर्माण और विकास एजेंसी (सीएंडडी) के रूप में निजी डेवलपर की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की, जिसमें कीस्टोन रियल्टर्स ने निविदा जीत कर यह ठेका हासिल किया।
अब जीटीबी नगर के पुनर्विकास का कार्य कीस्टोन रियल्टर्स के नेतृत्व में किया जाएगा, जिसके लिए बोर्ड की ओर से उन्हें स्वीकृति पत्र भी जारी कर दिया गया है। इन इमारतों का निर्माण 1958 में सिंधी शरणार्थियों के लिए किया गया था और अब उनकी हालत इस कदर जर्जर हो चुकी थी कि बीएमसी ने उन्हें ‘अत्यधिक खतरनाक’ की श्रेणी में डालते हुए तुरंत खाली कराने का निर्देश दिया था।
हालांकि, इमारतों को खाली कराने के बाद भी पुनर्विकास की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी। अंततः राज्य सरकार ने इन कॉलोनियों के पुनर्विकास की पूरी जिम्मेदारी म्हाडा को सौंप दी। इसके बाद म्हाडा ने मोतीलाल नगर मॉडल को आधार बनाते हुए सीएंडडी प्रक्रिया अपनाने का निर्णय लिया और निविदा प्रक्रिया शुरू की। यह प्रक्रिया पिछले वर्ष प्रारंभ की गई थी, लेकिन एक अन्य निजी डेवलपर ने इसे अदालत में चुनौती दे दी। पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा, जिससे पुनर्विकास में देरी होती चली गई।
अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उस याचिका को खारिज कर दिए जाने के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई और म्हाडा ने बोली प्रक्रिया दोबारा शुरू करते हुए कीस्टोन रियल्टर्स को अंतिम रूप से चयनित कर लिया। अब पुनर्विकास कार्य जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
करीब 11.20 एकड़ में फैले जीटीबी नगर में फिलहाल 25 इमारतें और 1200 फ्लैट मौजूद हैं। पुनर्विकास के तहत सभी फ्लैट धारकों को 635 वर्गफुट के नए मकान दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त म्हाडा को 25,700 वर्गमीटर क्षेत्र मिलेगा, जिस पर 450 वर्गफुट क्षेत्रफल के 500 नए घर बनाए जाएंगे। ये घर लॉटरी के माध्यम से आम जनता को उपलब्ध कराए जाएंगे।