नोएडा। धनतेरस के दिन दिवाली मनाने को अपने घर गांव शहर जाने वाली प्रवासी आबादी भीड़ सड़कों पर उमड़ी। आलम यह रहा कि मोरना बस डिपो से लेकर सेक्टर 37, सेक्टर 62 मॉडल टाउन समेत अन्य जगहों जहां से बस टैक्सी समेत अन्य साधन मिलने की उम्मीद थी, वहां बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। कोई तो अपने साधन का इंतजार कर रहा था तो कोई साधन तलाश रहा था। सेक्टर 62 मॉडल टाउन पर यात्रियों की भीड़ मेले जैसी नजर आई।इसी तरह सेक्टर 37 से छलेरा तक देर रात तक यात्री सामान लेकर घर जाने के लिए साधन के इंतजार में भटकते हुए दिखे। इन जगहों पर ट्रैफिक जाम भी लगा। वहीं निजी बसों में यात्री किसी भी तरह बैठकर-खड़े होकर गए।
नोएडा डिपो में भी दोपहर से ही यात्रियों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई थी। इनमें अधिकतर वह यात्री थे जिनकों पास के शहरों जाना था, या फिर प्रदेश के दूर दराज के वह यात्री थे जिनका ट्रेन में रिजर्वेशन नहीं हो पाया था। इसलिए बसों के तय समय से पहले ही पहुंचे हुए थे। खासकर लखनऊ, कानपुर के यात्रियों की यहां पर भीड़ दिखी। इसी तरह मॉडल टाउन गोल चक्कर के पास दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर उत्तराखंड, मेरठ, बरेली की तरफ जाने वाले यात्री बड़ी संख्या में थे। सेक्टर-37 के सामने से चलने वाली बसों में आगरा, एटा-मैनपुरी की तरफ के यात्री ज्यादा गए। यहां छलेरा के पास से बहुत सी निजी बसें भी बिहार समेत दूर के शहरों के लिए गईं। इसी तरह सेक्टर-21 ए नोएडा स्टेडियम के गेट समेत अन्य जगहों पर जहां निजी बसों के स्टॉप पर भी यात्रियों की भीड़ दिखी।
अतिरिक्त फेरे भी नहीं आए कामपरिवहन निगम की तरफ से दिवाली समेत अन्य त्यौहारों पर जिले से चलने वाली 305 बसों के अतिरिक्त फेरे लगाने का दावा किया गया था। लेकिन यात्रियों की संख्या के आगे ये बसें और इनके फेरे ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई। यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ा। वहीं जो बसें रवाना हुई उनमें भी यात्री भीड़-भाड़ में गए
-कई गुना रहा निजी बसों का किराया-नोएडा होते हुए लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर के लिए कई ऐप बेस्ड एसी स्लीपर निजी बस सेवा का संचालन होता है। शनिवार को इनके किराए में कुछ कमी तो शनिवार की रात के टिकट में दिखी। लेकिन फिर भी सामान्य दिनों की तुलना में यह किराया कई गुना रहा। 2500 से 3000 रुपये तक का किराया लखनऊ और कानपुर का रहा। इसी तरह प्रयागराज का किराया 3000 से 5000 रुपये तक दिखा।